________________
प्रेरित
अंगूर (मुनिश्री की प्रेरणा से संकलित इस पुस्तक में चुने हुए स्त्रोत, पाठ और भजन सम्मिलित हैं, श्रमण जैन भजन प्रचारक संघ द्वारा प्रकाशित एवं प्रसारित इसकी विभिन्न संस्करणों के रूप में डेढ़ लाख से ऊपर प्रतियाँ बिक चुकी हैं, कतिपय भजनों के रिकार्ड भी बन गये हैं)।
ऐतिहासिक महापुरुष तीर्थंकर वर्धमान महावीर (इसकी रचना मुनिश्री के सान्निध्य में डा. जयकिशनप्रसाद खण्डेलवाल ने की है। इसमें लेखक ने मुनिश्री के निर्देशन में महावीर के जीवन का असंदिग्ध वृतान्त प्रस्तुत किया है), मेरठ , १९७३ ।
जैन इतिहास पर लोकमत (इसमें जैन दर्शन तथा इतिहास के विषय में भारत के सुप्रसिद्ध विद्वानों के प्रांजल मत संग्रहीत हैं ), मेरठ, १९६८ ।
जैन शासन का ध्वज (यह जैन ध्वज के स्वरूप, इतिहास और व्यक्तित्व पर सर्वप्रथम प्रकाशन है; संप्रदायातीत तथ्यों से युक्त बहुरंगी पुस्तक मुनिश्री के मार्गदर्शन में डा. जयकिशनप्रसाद खण्डेलवाल ने तैयार की है), मेरठ, १९७३ ।
तीर्थंकर पार्श्वनाथ भक्तिगंगा (इस पुस्तक के प्रारंभ में तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीवन-चरित्र दिया गया है। भ. पार्श्वनाथ से सम्बन्धित १०१ भजनों को अर्थसहित प्रस्तुत किया गया है । इसके संकलन , संपादक और अनुवादक हैं डा. प्रेमसागर जैन), दिल्ली, १९३९ ।
तीर्थंकर महावीर भक्तिगंगा (यह मुनिश्री के पावन हृदय की प्रेरणा का परिणाम है। प्रारंभ में मुनिश्री द्वारा संक्षेप में लिखित तीर्थंकर महावीर का जीवन-चरित्र है। इसमें भ. महावीर से सम्बन्धित स्त्रोत तथा ४८ भजनों को अर्थसहित प्रस्तुत किया गया है), दिल्ली, १९६८ ।
भक्ति के अंगूर और संगीत-समयसार (मुनिश्री की प्रेरणा से डा. नेमीचन्द जैन द्वारा संपादित यह पुस्तक 'अंगूर' और 'सुसंगीत जैनपत्रिका' से किंचित् आगे की चीज है। इसमें कुछ सामग्री नई और कुछ पुनः संकलित है), इन्दौर, १९७१ ।
भरत और भारत (मुनिश्री के मार्गदर्शन में डा. प्रेमसागर जैन द्वारा रचित इस पुस्तक में ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र भरत को ही इस देश के नाम भारतवर्ष' का मूलाधार ऐतिहासिक एवं पौराणिक प्रमाणों द्वारा सिद्ध किया गया है ), बड़ौत, १९६९ ।
मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org