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प्रायः सभी आकाशवाणी-केन्द्रों से प्रसारित होते हैं। उन्होंने धार्मिक एवं चरित्रनिर्माण करने वाले साहित्य को सरल भाषा में लिखाकर नयी पीढ़ी के हाथों तक पहुँचाया। इस प्रकार उन्होंने युवा पीढ़ी के चरित्र-निर्माण में बहुत योगदान किया। महाराजश्री की प्रेरणा से युवा पीढ़ी आज धर्म के मूल्य और उसकी महत्ता को समझने लगी। अब वह उसे एक निरर्थक वस्तु न समझ, जीवन का एक अनिवार्य अंग समझती है। महाराजश्री का समाज के प्रति किया गया यह महान् उपकार कभी भी बुलाया नहीं जा सकता। इस संदर्भ में समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा।
महाराजश्री के इस १९७३ के वर्षायोग में मेरठ में कड़ी सर्दी पड़ रही थी। महाराजश्री ने 'जैनमिलन' नामक संस्था द्वारा २५० कम्बल गरीबों में वितरण करने की प्रेरणा दी। एक समारोह में मेरठ के जिलाधीश ने उन कम्बलों को गरीबों एवं अनाथालय के बच्चों में वितरित किया। इस प्रकार हम देखते हैं कि महाराजश्री का हृदय सदा ही करुणा से ओत-प्रोत रहता है। कितने ही साधनहीन युवकों को उन्होंने समाज द्वारा सहायता दिलायी है ।
महाराजश्री के पास सदा ही जैन-जैनेतर विद्वानों का जमघट लगा रहता था। उनसे धार्मिक एवं साहित्य की चर्चाएँ बराबर चलती रहती थीं। कुछ प्रमुख विद्वान् थे स्वर्गीय डा. नेमिचन्द्र आरा, पं. दरबारीलाल कोठिया बनारस, डा. ए. एन. उपाध्ये कोल्हापुर, डा. पन्नालाल साहित्याचार्य सागर, पं. सुमेरचन्द्र दिवाकर सिवनी, डा. देवेन्द्र कुमार नीमच, डा. नेमीचन्द जैन इन्दौर, श्री निरंजननाथ आचार्य जयपुर, डा. सिंह भूतपूर्व उपकुलपति मेरठ विश्वविद्यालय, डा. कपूर (वर्तमान) उपकुलपति मेरठ विश्वविद्यालय; श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली; श्री अक्षयकुमार जैन (सम्पादक 'दै.नवभारत टाइम्स') दिल्ली; प्रसिद्ध उपान्यासकार श्री जैनेन्द्रकुमार दिल्ली, श्री यशपाल जैन (संपादक 'जीवन-साहित्य') दिल्ली ।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कितने ही जैन-अजैन विद्वानों को भगवान महावीर पच्चीस सौ २५०० वें परिनिर्वाण-महोत्सव के संदर्भ में जैन साहित्य एवं तीर्थंकर महावीर के जीवन-चरित्र को विभिन्न भाषाओं में लिखने के लिए प्रेरित किया, इनमें प्रमुख हैं डा. हरीन्द्रनाथ भूषण (विक्रम विश्वविद्यालय) उज्जैन, डा. रामप्रकाश अग्रवाल (मेरठ कालेज) मेरठ, श्री रघुवीरशरण 'मित्र' मेरठ; आचार्य बृहस्पति (आल इंडिया रेडियो) दिल्ली; श्री जी. आर. पाटिल महाराष्ट्र, डा. सांगवे कोल्हापुर, डा. नेमीचन्द जैन इन्दौर, डा. निजाम उद्दीन (इस्लामिया कालेज,) श्रीनगर-कश्मीर; डा. जयकिशनप्रसाद खण्डेलवाला आगरा, डा. सागरचन्द जैन बड़ौत।
महाराजश्री की प्रेरणा से मेरठ में 'वीर निर्वाण भारती' नामक संस्था की स्थापना हुई, जिसके द्वारा उपरोक्त विद्वानों द्वारा लिखित कुछ पुस्तकों का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ है।
तीर्थंकर | अप्रैल १९७४
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