Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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तत्वार्थसूत्रे
_स्थानञ्चैषां पृथिव्यष्टकाऽधोऽधः पातालभवननरकप्रस्तरादि बोध्यम् । सूक्ष्मपृथिवीकायिकाः कज्जलसंभृतकूपिकावत् सर्वलोकव्यापिनः सन्ति.। बादरपृथिवीकायानामाद्याश्चतस्रो लेश्या वभन्ति । एवम्-हिमाऽवश्याय-मिहिका करका-हरतनु-शुद्ध-शीतो-ऽष्ण-क्षाराऽम्ल-लवणक्षीर-घृतो-दकपृभृतयो बादरा-अप्कायिका भवन्ति ।
बादराणां तेषां समुद्र-हृद नदी प्रभृति स्थानम् । सूक्ष्माणान्तु-अप्कायानां सर्वलोकः स्थानम् । एवमेव अङ्गाराऽर्चि-रतल (उल्मुक) शुद्धाग्नि प्रभृतयो बादरतेजस्कयिका अवसेयाः । तेषाञ्च-बादरतेजस्कायिकानां मनुष्यक्षेत्रमेव स्थानं बोध्यम् , नातःपरं तेषां स्थानम् । सूक्ष्मतेजस्कायिकानान्तु-सर्वलोकव्यापित्वम् प्राच्यप्रतीच्योदीच्याद्यत्कलिका-मण्डलिका प्रभृतयो बादरवायुकायिका बोध्याः । तेषाञ्च-बादरवायुकायानां घनवात, तनुवात तद् वलया-ऽधोलोकभवनप्रभृतिस्थानमवगन्तव्यम् । सूक्ष्माणां पुनर्वायुकायिकानां सर्वलोकव्यापित्वमवसेयम् । एवम्-शैवालावकपनकहरिद्राकमूलकाल्लुकासिंहकर्णि वृक्ष गुच्छ गुल्म लताप्रतानप्रभृतयो बादरवनस्पतिकाया अवगन्तव्याः। तद् भिन्नाः सूक्ष्माःवनस्पतिकायिका अवसेयाः । बादराणां
इनके स्थान आठ पृथिवियाँ, पाताल वन, नरक प्रस्तर आदि जानने चाहिए । सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव काजल से भरी कुप्पी के समान सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हैं।
बादर पृथिवीकायिक जीवों में चार लेश्याएँ --कृष्ण, नील, कापोत और तेजोलेश्याहोती हैं।
इसी प्रकार हिम, अवश्याय, मिहिका धूवर करक (ओले), हरतनु (पृथ्वी को भेद कर निकलने वाले जलविन्दु ), शुद्धजल, शीतजल, उष्णजल, क्षारजल, अम्लजल ( खट्टा पानी ), लवणजल, क्षीरजल और घृतजल आदि बादर अप्कायिक जीव हैं।
समुद्र, तालाब, नदी आदि बादरजलकायिक जीवों के स्थान हैं । सूक्ष्म जलकायिक जीवों का स्थान सम्पूर्ण लोक है ।
इसी प्रकार अंगार, अर्चि, उल्मुक शुद्धाग्नि आदि बादर तेजस्कायिक जीव समझने चाहिए । बादर तेजस्कायिक जीव मनुष्य क्षेत्र अर्थात् अढ़ाई द्वीप में ही होते हैं; उससे आगे नहीं होते । सूक्ष्म तेजस्कायिक सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हैं।
पूर्वी पछांही, उत्तरी आदि हवाएँ तथा उत्कलिका, मण्डलिका आदि हवाएँ बादर वायुकायिक जीव हैं । बादर वायुकाय के स्थान घनबात, तनुवातवलय, अधोलोक के भवन आदि हैं। सूक्ष्म वायुकायिकों का स्थान समस्त लोक हैं ।
इसी प्रकार शैवाल, अवक, पनक, हरिद्रा (हल्दी) अदरख, मूलक, आलू, गुच्छ, गुल्म लता बितान आदि बादर वनस्पतिकायिक हैं । इनसे जो भिन्न हैं वे सूक्ष्म वनस्पति
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧