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राज्य में थी। महाभारत में पाण्डवो ने अपना अज्ञातवास का तेरहवां वर्ष यहीं व्यतीत किया था। महाभारत युद्ध मे राजा विराट् तथा उसके दोनो पुत्रों ने बडा पराक्रम दिखलाया था। विराट् की राजपुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुनपुत्र अभिमन्यु के साथ हुआ था। उसी का पुत्र परीक्षित् पाण्डवो का उत्तराधिकारी बनकर हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठा था । सोलह महाजनपद काल मे मत्स्य मे भी सघ राज्य था।
१२. शूरसेन-इसकी राजधानी मथुरा थी। महाभारत के समय यह प्रसिद्ध अन्धक-वृष्णि सघ का केन्द्र था। बौद्ध साहित्य मे शूरसेन के राजा अवन्तिपुत्र का उल्लेख मिलता है, जो महात्मा बुद्ध का समकालीन था । यह राजा
प्रद्योत का पुत्र था । जैन ग्रन्थो में अवन्तिपुत्र का नाम सुबाहु दिया हुआ है। ___ काव्यमीमासा मे शूरसेनो के राजा का नाम कुविन्द लिखा है । शूरसेनो का उल्लेख मेगस्थनीज ने भी किया है।
१३ अश्मक—यह राज्य बौद्ध ग्रन्थ, सुत्तनिपात के अनुसार महाराष्ट्र में गोदावरी के निकट था। किन्तु पाणिनि उसे दक्षिण प्रान्त मे बतलाता है । महाराष्ट्रीय लोगो को आज भी दक्षिणी कहा जाता है । सम्भवत इसीलिये पाणिनि ने उनको दक्षिण प्रात मे बतलाया है,। अश्मक की राजधानी पोतन या पातलि थी। महाभारत में भी अश्मकपुत्र का उल्लेख है। वहा अश्मक की राजधानी का नाम पौदन्य बतलाया गया है। मूलक जनपद इसके दक्षिण मे था। महागोविन्द सुत्त के अनुसार अश्मकराज ब्रह्मदत्त, कलिङ्गराज सत्तभु, अवन्तिराज वैस्सभु, सौवीर राज भरत, विदेहराज रेणु तथा काशीराज धत्तरथ समकालीन थे । चुल्ल कलिग जातक के अनुसार अश्मक-नरेश अरुण ने कलिंग पर विजय प्राप्त की थी। सम्भवत. महाराष्ट्र से मिला होने के कारण अश्मक तथा अवन्ति की सीमाएँ मिलती थी, किन्तु अन्य ग्रन्थो मे अश्मक और मूलक का नाम एक साथ आता है। यहाँ का राजा ब्रह्मदत्त दक्षिण कोशल का सूर्यवंशी राजा था।
१४ अवन्ति-आधुनिक मालवे का नाम प्राचीन काल मे अवन्ति था। उसकी राजधानी उज्जैन थी। इन दिनों यहा का राजा प्रसिद्ध प्रद्योत था। उसका पिता अवन्तिराज' का मत्री था। जैसा कि पीछे लिखा जा चुका है, उसने अपने स्वामी को मारकर अपने पुत्र को राजा बनाया था। प्रद्योत एक