________________
प्रस्तावना
'सर्वोदयी जैन तंत्र' लेखक की अंग्रेजी पुस्तिका 'जैन सिस्टम इन नटशैल' (1993) का परिवर्धित हिन्दी अनुवाद है। यह अत्यन्त लोकप्रिय हुई है। यह जैन तत्र का सर्वांगीण सार-सग्रह है। इसमें सरल और सुबोध भाषा मे प्रमुख जैन सिद्धान्त, जैन तंत्र की वैज्ञानिकता तथा उसके द्वारा • वैज्ञानिक दृष्टि का पल्लवन, कर्मवाद, अनेकान्तवाद, जैन तर्कशास्त्र, अवधारणात्मक एव भौतिक घटनाओ की व्याख्या, परमाणुवाद, ऊर्जाएं और उनका रूपान्तरण, आध्यात्मिक एव नैतिक विकास का विज्ञान और आचार सहिता, जैनो के राज्याश्रय, साहित्य एव समाज का इतिहास, जैन साहित्य, पुरातत्व, तीर्थक्षेत्र, विधि-विधान और उत्सव, जैन सिद्धान्तों का चित्रों द्वारा प्रभावी सप्रेषण, विदेशों मे जैन धर्म, जैन धर्म की प्रभावकता का सप्रेषण तथा वर्तमान राष्ट्रीय समस्याओ के समाधान मे जैन सिद्धान्तों का योगदान के समान अनेक शीर्षकों के अन्तर्गत जैन तत्र के विकासकाल से लेकर बीसवी सदी तक की महत्वपूर्ण सूचनाये विश्लेषणात्मक एव विधायक दृष्टि से दी गई है। यह स्पष्ट है कि इस पुस्तक का विषय क्षेत्र व्यापक है और देश-विदेश के अनुभवों का लाभ लेकर लेखक ने प्रत्येक विषय पर प्रभावी, आधनिक एव नवीन ढग से प्रकाश डाला है। इसमें भौतिक एवं आध्यात्मिक तत्वो की विवेचना अद्भुत एव वैज्ञानिक विधि से, गणितीय सूत्रो एवं समीकरणो की भाषा के प्रयोग से की गई है। इससे नयी पीढी उसे सरलता से हृदयगम कर सकेगी एव नैतिक उत्थान के प्रति अविरत रूप से जागरूक बनेगी। इसमे दिये गये सारणियो, रेखाचित्रो एव चित्रों ने वर्णन को रोचकता तथा आकर्षण प्रदान किया है। यह लेखक का अनूठा प्रयास है।
इस पुस्तक की एक विशेषता और है कि इसमे जैन तत्र का समग्र चित्र निष्पक्ष एवं तुलनात्मक दृष्टि से दिया है। इससे यह समग्र जैन तंत्र का रूप प्रस्तुत करती है। पुस्तक के अत मे दी गई सन्दर्भ सामग्री