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जैन सिद्धातों का प्रभावी संप्रेषण / 73 सोचते हैं। सबसे बुरे मनोभावो वाला व्यक्ति वह है जो पूरे पेड को ही काटना चाहता है और सबसे अच्छा आदमी वह है जो पेड़ के नीचे पडे हुये पके फलों को खाकर ही सतोष मानने की बात सुझाता है। लेश्या वृक्ष जैनाचार्यों के मनोवैज्ञानिक चिंतन का प्रतीक है और हमें शुभ भावों, अहिसक प्रवृत्तियों को अपनाने का संदेश देता है।
(योगुणस्थानों की सांप-सीढ़ी का खेल :- यह भी एक मनोवैज्ञानिकतः अध्यात्म पथ के विकास का स्वरूप दर्शाने वाला प्रतीक चित्र है। इसमे मनोभावो, कषायों या अशुभ विचारों को शुभतर रूप में परिणत करने के चौदह चरण बताये गये है। इसका विवरण (चित्र 2) पहले दिया जा चुका है। इससे स्पष्ट है कि दमन या उपशमन विकास का अच्छा मार्ग नही है। उदात्तीकरण या मार्गान्तरीकरण अधिक अच्छा उपाय है।
(र) हाथी और छह अंधे :-यह प्रतीक चित्र अनेकातवाद को सरलता से समझाता है। यह संकेत देता है कि कोई भी मनुष्य पूर्ण नही है। वह अधे के समान अपूर्ण है । प्रत्येक अन्धा हाथी को उसी रूप में देखता है जिस रूप मे वह उसे
BERONM छूता है। किसी के लिये हाथी खम्भे के समान है, किसी के लिये हाथी रस्सी
चित्र 7 हाथी और छह अधे के समान है, इत्यादि । एक आख वाला व्यक्ति उन्हे समझाता है कि प्रत्येक ने जो देखा है, वह अशत. ही सत्य है, पूर्णत. नही। पूर्ण सत्य तो छहो लोगो के द्वारा जो छुआ गया है, उसका सकलित रूप है। यह प्रतीक सत्य को समग्र आशिक सत्यो के समाकलन से प्राप्त होता बताता है।
(ल) एक घाट पर सिंह और शावक :- यह प्रतीक चित्र जैन-तंत्र के अहिसा के सिद्धान्त का निदर्शक है। जैन धर्म की अहिसा विरोधी-समागमो की सम्प्रेरक है। नदी के पार करने के पथ पर हिसक शेर और दुर्बल शावक एक स्थान पर मिलते है । एक दूसरे को पार-पथ देते है। मानव को