Book Title: Sarvodayi Jain Tantra
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Potdar Dharmik evam Parmarthik Nyas

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Page 48
________________ जैन तत्र का इतिहास / 47 जी ने नवमी सदी मे गुजरात राज्य की स्थापना में योगदान किया। बाद मे, बनराज, जयसिह, और कुमारपाल आदि राजाओ ने पश्चिम मे जैन धर्म को राजधर्म-जैसा ही रूप दे दिया। इस क्षेत्र में आज भी जैनतत्र की सुगधि का अनुभव किया जा सकता है। दक्षिण भारत के विभिन्न भाग लगभग एक हजार वर्ष तक दिगम्बर सम्प्रदाय के गढ रहे । भद्रबाहु और मौर्यराज ने अपनी दीर्घ यात्रा के दौरान जैन-तंत्र के बीज बोये थे। इससे पूर्व पार्श्व के अनुयायी भी इस क्षेत्र में का तक जा पहुचे थे। इस साधु सघ से जैनतत्र न केवल लोकप्रिय हुआ, अपितु इससे अनेक राजवंश भी प्रभावित हुये । दिगबर साधु सिंहनंदि ने कर्नाटक मे गगवश की स्थापना मे सहयोग दिया और मुनि सुदत्त ने होयसल वंश की स्थापना में योग दिया। ये दोनो ही राजवंश जैनतत्र के प्रभावशाली सरक्षक रहे। बाद में, विजयनगर के राजबशो ने भी चौदहवीं सदी तक अपने क्षेत्र में जैनतत्र को सरक्षण एव प्रभावना दी। आंध्र के राष्ट्रकूट वंश का युग तो दक्षिण मे जैनतंत्र की साहित्य सर्जना एव प्रभावना का स्वर्णकाल माना जाता है। अमोघवर्ष के शासनकाल मे गुफा मंदिर की कला भी विकसित हुई। इस वश का शासन चौदहवी सदी तक प्राय चार-पाच सौ वर्षों तक रहा। इस काल मे जैन उच्च राजकीय पदों पर नियुक्त होते थे । श्रवणबेलगोला की बाहुबलि मूर्ति निर्माता चामुंडराय ऐसे ही प्रसिद्ध जैनधर्म प्रभावको मे से एक है। ये राजा और राजवंश जैन मदिरो मठो एव मुनिसघ यात्राओ मे सभी प्रकार की सहायता करते थे । यह कहा जाता है कि मध्यकाल के पूर्व दक्षिणी क्षेत्रो में एक तिहाई जनता जैनतत्र की अनुयायी थी । भारत के इतिहास के मध्य और उत्तरकाल मे अनेक राजवश ऐसे हुए है जो जैन-तत्र से सहानुभूति नहीं रखते थे। इनके कारण न केवल दक्षिण मे ही प्राय बारहवी सदी के बाद राजकीय सरक्षण मिलना बन्द हो गया, अपितु उत्तर भारत मे भी पर्याप्त अशो में यही स्थिति निर्मित हुई। इसके बावजूद भी, जैनो ने अपनी अहिसक व्यवहार और व्यापार कुशलता से अपने को परिरक्षित बनाये रखा। तथापि, बदलते परिवेश के कारण जैनो की जनसंख्या कम हुई और इसके सांस्कृतिक क्रियाकलापो के विस्तार को भी आघात लगा | भारत प्रशासन के मुस्लिम और मुगल काल में भी, कुछ अपवादो के साथ, यही स्थिति रही। इस स्थिति में भी जैन अपना प्रभावी

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