Book Title: Sarvodayi Jain Tantra
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Potdar Dharmik evam Parmarthik Nyas

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Page 55
________________ / 54 / सर्वोदयी जैन तत्र थे और उनकी विभिन्न व्यवस्था के बावजूद भी वे जैन तत्र के मूल सिद्धातों के अनुपालन एव परिरक्षण मे संघबद्ध थे । प्रत्येक सघ और उपसंघ जैनतत्र को जीवतता देने के उपक्रम मे लगा रहा। साधुओ के सघ विभाजन का प्रभाव श्रावको पर भी पड़ा। महावीर के उत्तरकाल मे जैन धर्म भारत के काने-कोने मे प्रतिष्ठित हो रहा था। इसमे अनेक जातीय एव मान्यता के लोग समाहित हो रहे थे। जैनों के जन्मना जातित्व के विरोधी सिद्धान्त के अनुसार उनमे जाति या वर्ण-व्यवस्था तो सभव नहीं थी, फिर भी जैनतंत्र के अनुयायी समाज को एकसूत्रता मे बनाये रखने के लिये साधु संघो के समान समाज मे जाति प्रथा धीरे-धीरे विकसित होने लगी । जाति शब्द का अर्थ ऐसे समूह विशेष से है जो समान आचार, विचार, एवं सभव हो सके तो, व्यवसाय भी पालता हो । भिन्न-भिन्न क्षेत्रो मे अनेक ऐसे लघु समूह विकसित हुये । इनके नाम क्षेत्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यक्तियो, स्थानो, घटनाओ, देवताओ, व्यवसायो तथा प्राकृतिक परिवेशों पर आधारित थे । अहिंसक वृत्ति होने के कारण इनका व्यवसाय वैश्यवृत्ति ही बन गया चाहे जैनतत्र अपनाने के पूर्व वे किसी भी जाति या व्यवसाय को क्यो न मानते रहे हो । विदेशी आक्रान्ताओ और मूर्तिभजको के युग मे तो क्षत्रिय भी युद्धो से मारकाट से त्रस्त हो गये थे। जैन साधुओ के अहिसक उपदेशो ने उन्हे भी प्रभावित किया और वे अहिसक वैश्य बनकर समाज का अनेक क्षेत्रो - प्रशासन, राजकाज व्यवसाय आदि मे नेतृत्व करने लगे। कुछ लोगो का मत है कि जाति स्थापना से श्रेष्ठहीनभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसके नियंत्रण के लिये जाति मद को दूषण माना गया । 1 f जैनों में उपरोक्त अर्थों के अनुसार, विभिन्न जातिया कब से अस्तित्व मे आईं, यह शोधकर्त्ताओ मे विवाद का विषय है। कुछ लोग इन्हे महावीरकालीन ही मानते हैं और उनकी उत्तरकालीन परम्परा के आचार्यों की जातियो का भी उल्लेख करते है। वह अवश्य है कि जैन जातियों के विकास मे अनेक परिवेशी हिन्दुओ की प्रथा का प्रभाव अवश्य पडा होगा । सामान्यत: जैनो की मूल जाति, हिन्दुओ के विपर्यास मे, केवल एक ही बनी - वैश्य । तथापि, उसके सदस्य हिन्दुओ की जातियो के अन्य वर्गों की सेवाओ से लाभान्वित होते रहे। प्राचीन जैन ग्रन्थो में जैनो की जातियों का

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