Book Title: Sarvodayi Jain Tantra
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Potdar Dharmik evam Parmarthik Nyas

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Page 16
________________ XV आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज व संघस्थ साधु श्री समता सागर जी, श्री क्षमासागर जी, श्री सुधासागर जी, श्री प्रमाणसागर जी महाराज व समस्त माताओं, साधुओं के चरणों में शत-शत नमन करता हुआ प्रार्थना करता हूं कि हमें इस तरह के कार्यों में उनका आशीष एवं मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे। आशा है, यह पुस्तक जैन समाज के अतिरिक्त सभी वर्ग के बंधुओं के लिए भी उपयोगी होगी। हम सुधी पाठकों एवं विद्वानों से यह आशा करते हैं कि वे हमें ऐसे कार्यों में सहयोग व मार्गदर्शन निरन्तर देते रहें। विनीत कपूरचन्द जैन पोतदार अध्यक्ष, पोतदार धार्मिक एवं. ' पारमार्थिक ट्रस्ट पोतदार निवास, टीकमगढ़ (म० प्र०) PH. : 07683/32394, 33186.

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