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मंगलाचरण
येनात्माऽबुद्ध्यतात्मैव परत्वेनैव चापरम् । अक्षयानन्तबोधाय तस्मै सिद्धात्मने नमः ॥१॥
अन्वयार्थ - (येन ) जिसके द्वारा (आत्मा) आत्मा (आत्मा एव) आत्मा रूप से ही (अबुद्ध्यत) जाना गया है (च) और (अपरं) अन्य को - कर्मजनित मनुष्यादि-पर्यायरूप पुद्गल को - (परत्वेन एव) पररूप से ही [अबुद्ध्यत] जाना गया है (तस्मै ) उस (अक्षयानन्तबोधाय) अविनाशी अनन्तज्ञान स्वरूप (सिद्धात्मने) सिद्धात्मा को ( नमः) नमस्कार हो।
INVOCATION I make obeisance to the Siddha (the liberated soul), characterized by indestructible and infinite knowledge, who has known the (substance of) soul (ātmā, jīva) as nothing but the soul, and the non-soul (like the matter – anātmā, ajīva) as utterly distinct from the soul.
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