Book Title: Samadhi Tantram
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers

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Page 216
________________ Samādhitantram कारिका --- Verse No. Page एवं त्यक्त्वा बहिर्वाचं 36 क्षीयन्तेऽत्रैव रागाद्यास्तत्त्वतो 45 101 गौरः स्थूलः कृशो ग्रामोऽरण्यमिति द्वेधा 106 घने वस्त्रे यथाऽऽत्मानं 93 चिरं सुषुप्तास्तमसि 82 72 103 जगदेहात्मदृष्टीनां जनेभ्यो वाक् ततः स्पन्दो जयन्ति यस्यावदतोऽपि जातिदेहाश्रिता दृष्टा जातिलिङ्गविकल्पेन जानन्नप्यात्मनस्तत्त्वं जीर्णे वस्त्रे यथाऽऽत्मानं 127 128 68 118 77 तथैव भावयेदेहाद् तद् ब्रूयात्तत्परान् तान्यात्मनि समारोप्य त्यक्त्वैवं बहिरात्मान त्यागादाने बहिर्मूढः 166 47 111 दृढात्मबुद्धिर्देहादा दृश्यमानमिदं मूढ 67 ........................ 174

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