Book Title: Samadhi Tantram
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers
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Samādhitantram
Name of Scripture
कारिका/श्लोक/गाथा
क्रमांक
Page
83
45
Acārya Kundakunda's --- णाहं होमि परेसिं Pravacanasāra (Contd.) --- देहा वा दविणा वा
--- जो णिहदमोहगंठी --- समसत्तुबंधुवग्गो
(२-९९) (२-१०१) (२-१०३) (३-४१)
169
45
126
Acārya Kundakunda's Rayaņasāra
129
129
129
13
54
54
--- धरियउ बाहिरलिंगं (६८) --- मोक्खणिमित्तं दुक्खं (६९) --- ण हु दंडइ कोहाई देहं (७०) --- अज्झयणमेव झाणं (९५)
तिव्वं कायकिलेसं (१०३) --- विसयविरत्तो मुंचइ (१३१) --- णिय अप्पणाणझाणज्झयण (१३२) --- किंपायफलं पक्कं (१३३) --- देहकलत्तं पुत्तं मित्ताइ (१३४) --- इंदियविसयसुहाइसु (१३५) --- जं जं अक्खाणसुहं तं (१३६) --- जेसिं अमेज्झमज्झ (१३७) --- सिविणे वि ण भुंजइ (१३८) --- चउगइसंसारगमण (१४२) --- मोक्खगईगमण
(१४३) --- बहिरंतरप्पभेयं परसमय (१४५) --- मिस्सोत्ति बहिरप्पा (१४६)
84
108
166
166
167
166
Acārya Kundakunda's Samayasāra
25
--- जीवो चरित्तदंसणणाण --- अहमेदं एदमहं ---- आसि मम पुव्वमेदं --- एवं तु असंभूदं
(१-२-२) (१-२०-२०) (१-२१-२१) (१-२२-२२)
25
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