Book Title: Samadhi Tantram
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers

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Page 243
________________ आचार्य पूज्यपाद कृत समाधितंत्र का यह संस्करण प्रकाशन के पूर्व देखने को मिला। 'समाधि' शब्द स्वयं में ही उत्तम मोक्षमार्ग का दर्पण है। समाधि परम-ध्यान है। संसार से मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय है। यह शाश्वत ग्रन्थ है। ___ पुण्यात्मा श्री विजय कुमार जैन माँ जिनवाणी की महती सेवा कर रहे हैं। उनके द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ मूल आगम का ही आश्रय लेते हैं तथा आधुनिक समाज के उपकार हेतु हिन्दी व अंग्रेजी में अनुवाद सहित हैं। आज के युग में इसकी बड़ी आवश्यकता है। श्री विजय कुमार जैन जैसे पुण्यात्मा श्रावक अलौकिक ही होते हैं, अनुपमेय ही होते हैं। मैं अंतरात्मा से उनको आशीर्वाद देता हूँ और उनके द्वारा धर्म-प्रभावना करते रहने का भी आशीर्वाद देता हूँ। उनके जीवन में उत्तम सुख सदैव विद्यमान रहे, ऐसा मेरा मंगल आशीर्वाद है। अगस्त 2017 आचार्य 108 निःशंकभूषण मुनि आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामि विरचित समाधितंत्र ग्रन्थ का विषय अध्यात्म और भेद-विज्ञान की प्राप्ति का द्वार है। भेद-विज्ञान संसार के दु:खों का निवारण करता है और मनुष्य को उत्तम मोक्षमार्ग में स्थापित करता है। इस ग्रन्थ के विषय को स्वावलंबी विद्वान श्री विजय कुमार जैन ने भव्यात्माओं को हृदयंगम कराने हेतु अन्य पूर्वाचार्यों द्वारा रचित महान ग्रन्थों का आश्रय लेते हुए हिन्दी-अंग्रेजी में अनुवाद सहित प्रस्तुत किया है। उनका यह कार्य निःसन्देह स्तुत्य है। दीर्घायुरस्तु - आरोग्यमस्तु - जिनपुङ्गवभक्तिरस्तु। मंगलमय आशीर्वाद। अगस्त 2017 आर्यिका 105 श्री भरतेश्वरी माताजी विकल्प Vikalp Printers

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