Book Title: Samadhi Tantram
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers

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Page 219
________________ Index of Verses कारिका --- Verse No. Page --- 66 96 रक्ते वस्त्रे यथा रागद्वेषादिकल्लोलैरलोलं 35 लिङ्ग देहाश्रितं 125 94 134 विदिताशेषशास्त्रोऽपि व्यवहारे सुषुप्तो यः 114 98 18 शरीरकञ्चुकेनात्मा शरीरे वाचि चात्मानं शुभं शरीरं दिव्यांश्च शृण्वन्नप्यन्यतः कामं श्रुतेन लिंगेन यथात्मशक्ति 65 117 30 93 133 28 50 सर्वेन्द्रियाणि संयम्य सुखमारब्धयोगस्य सुप्तोन्मत्ताद्यवस्थैव सोऽहमित्यात्तसंस्कारस्तस्मिन् स्वदेहसदृशं दृष्ट्वा स्वपराध्यवसायेन स्वप्ने दृष्टे विनष्टेऽपि स्वबुद्ध्या यावद्गृह्णीयात् 10 11 24 101 158 62 90 ........................ 177

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