Book Title: Samadhi Tantram
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp Printers
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Index of Verses
कारिका
--- Verse No.
Page
132 107
दृष्टभेदो यथा दृष्टिं देहान्तरगते/जं देहे स्वबुद्धिरात्मानं देहेष्वात्मधिया जाताः
30
89 80
109
न जानन्ति शरीराणि न तदस्तीन्द्रियार्थेषु नयत्यात्मानमात्मैव नरदेहस्थमात्मानमविद्वान् नष्टे वस्त्रे यथाऽऽत्मानं नारकं नारकाङ्गस्थं निर्मल: केवलः
22
66
84
116
परत्राहम्मतिः पश्येन्निरंतरं देह पूर्वं दृष्टात्मतत्त्वस्य प्रच्याव्य विषयेभ्योऽहं प्रयत्नादात्मनो वायु प्रविशद्गलतां व्यूहे
54
164
99
बहिरन्तः परश्चेति बहिरात्मा शरीरादौ बहिरात्मेन्द्रियद्वारै बहिस्तुष्यति मूढात्मा
भिन्नात्मानमुपास्यात्मा
138
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