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श्री केजरीचन्दजी लूणिया
धर्मशीला श्रीमती रेखादेवो लूणिया
(धर्मपत्नी श्री केशरीचन्दजी लूणिया) सेवाभावी, प्रसन्नमना, क्षमामूर्ति, सहनशीलता की देवी मेरी पूज्य माताजी श्रीमती रेखादेवी लूनिया के बारे में जब भी कभी सोचती हूँ तो ऐसा लगता है हमने पूर्व जन्म में शायद बहुत ही अच्छे कार्य किये होंगे जो इतनी अच्छी माँ मिली है-वो लाखों में एक हैं। हमेशा ही खुशमिजाज और सन्तोषी स्वभाव रहा है। आपका जन्म जयपुर की प्रसिद्ध बैंकर्स परिवार में श्री बीजराजजी जोरावर मलजी बांठिया के यहाँ हुआ।
नये विचारों की प्रगतिशील महिला के रूप में आप तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा के रूप में रहीं । करीब १२ वर्षों तक आपके नेतृत्व में मंडल ने बहुत विकास किया । कई वर्षों तक लायनेस क्लब जयपुर की भी सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य किया। आपकी चार भतीजियाँ भी दीक्षा ली हुई हैं जो कि साध्वी श्रीकमलूजी, सूरज कुंवरजी, पानकंवरजी, रायकंवरजी है। हम सात बहन-भाइयों में तथा चार बहुओं में से शायद ही कभी किसी को डांटा हो अपितु जरा सी किसी को तकलीफ होने पर हमेशा ही पूरे सहयोग से दूर किया है ।
मेरी ममतामयी माँ इतनी शांतमना और गम्भीर है कि मेरे पास उनकी प्रशंसा हेतु शब्द नहीं हैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूँ आपकी छत्रछाया हम बच्चों को हमेशा मिलती रहे आशीर्वाद बना रहे ।
सरलमनाश्री पूनमचन्दजी लूनिया ___ स्वर्गीय श्रीपूनमचन्दजी लूणिया सेठ गुलाबचन्दजी लूणिया की सबसे छोटी सन्तान थे । आपका जन्म वि. स. १६७२ ज्येष्ठ पूर्णिमा तथा स्वर्गवास १७ जून सन् १९७६ में हुआ। बचपन में ही आपका रुझान धार्मिक क्रियाकलापों की तरफ रहा, धर्मगुरुओं से धर्म के विषय में चर्चाएँ करना आपकी विशेष रुचि थी, और इसी के फलस्वरूप तेरापंथ साधुसमाज ने 'पण्डित" के नाम से प्रख्यात थे ।
आपका चरित्र निर्मल जल के समान पवित्र था तथा आपने अपना समस्त जीवन सादगीपूर्ण तरीके से बिना छलकपट के बिताया। परिवार के सब सदस्यों के प्रति आपका एक समान व्यवहार व
गी। आप अपने-पराये की भावना से परे थे। आप माता-पिता के अत्यन्त आज्ञाकारी पुत्र थे। पूजनीय प्रवर्तिनोजी महाराजसाहब से भी आपका अगाढ़ स्नेह था।
आपकी दो शादियाँ हुईं। पहली पत्नी श्रीमती लाधुबाई का युवावस्था में ही देहान्त हो गया जिनसे एक पुत्री प्रेम बांठियां है जिसका विवाह जयपुर के ही प्रतिष्ठित जौहरी श्रीप्रकाशचन्दजी बांठिया के साथ सम्पन्न हुआ। दूसरी पत्नी श्रीमती कमलाबाई से आपके चार सन्तान हुई तीन पुत्रियाँ व एक पुत्र । परिवार के प्रति आपने अपनी पूर्ण जिम्मेदारी निभायी तथा बच्चों में बचपन से ही अच्छे संस्कार डाले जिसके फलस्वरूप आपकी सभी सन्तानों ने अच्छी शिक्षायें प्राप्त की और समाज में अपना नाम उज्ज्वल रखा । आपकी दूसरी पुत्री श्रीमती पुष्पा पारीख ने भौतिक शास्त्र में एम.एस. सो. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया है तथा वर्तमान में लेक्चरार हैं । आपकी तीसरी पुत्री कु० प्रभा ने बी. ए. के पश्चात कामर्शियल आर्ट में डिप्लोमा प्राप्त किया। आपकी चौथी पुत्री कुमारी पदमा ने मनोविज्ञान में ही एम. ए. किया उसके पश्चात् मनोविज्ञान में एम. फिल. की उपाधि प्राप्त की । वर्तमान में वह पी. एच-डी. कर रही है। आपके पुत्र पुष्पेन्द्र कुमार एम. काम. कर रहे हैं तथा साथ ही जवाहरात का व्यवसाय कर रहे हैं।
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