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खण्ड २ : आशीर्वचन : शुभकामनाए - श्री जवाहरलाल लोढा, - श्रीमती शकुन्तला सुराणा जयपुर (सम्पादक : साप्ताहिक श्वेताम्बर जैन, आगरा) पूज्य प्रवर्तिनी "आगम ज्योति" श्री सज्जनश्री
यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है कि जी म सा. की भव्यता पर मुझे कुछ टूटे-फूटे शब्द जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ जयपुर अपनी प० लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, यह मेरे लिए गौरव पूज्यनीया आगममर्मज्ञा प्रवर्तिनी श्रीसज्जनश्रीजी का विषय है। मैं अपनी लघुता से उनकी गरिमा महाराज के ८१वें जन्म दिवस वैशाख शुक्ला पूर्णिमा व भव्यता का अभिनन्दन करती हूँ। के शुभ दिन आपका अभिनन्दन करने जा रहा है। जिनेश्वर देव से यही कामना है आप स्वस्थ
प्रवर्तिनी श्रीसज्जनश्रीजी महाराज का अभि- रहते हुये चिरायु बनें । परस्पर सद्भावना, सहानुनन्दन उनकी गुणगरिमा और त्याग तपस्या का भूति, सच्चे प्रेम का निर्झर बहाती रहें। अभिनन्दन है । हम प० पू० प्रवर्तिनीजी के चरणों में शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं और प्रभु से । श्रीमती निर्मला कडावत जयपुर प्रार्थना करते हैं कि दीर्घकाल तक अपने सद्उपदेशों
(एम० काम०, एम० ए०) से भव्य आत्माओं को लाभान्वित करती रहें।
जैन समाज आज जिन अपूर्व प्रतिभाशाली रत्नों ___ अभिनन्दन आयोजक संघ को भी हम धन्यवाद को पाकर संसार में अपना विशिष्ट स्थान बनाये देते हैं, उनके इस सदप्रयास के लिये।
हुये हैं व भविष्य हेतु भी सुरक्षित है । इन्हीं प्रतिभा
' शाली रत्नों में पूज्या गुरुवर्या श्री सज्जनश्रीजी ॥ श्रीसौभागमलजी विजयकुमारजी महाराज साहब भी एक हैं जिन्होंने अपनी पीयूष(अध्यक्ष : श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ टोंक) मयीवाणी एवं मुखमंडल पर ज्ञान के दिव्य तेज के
आज के भौतिक युग में जब मानवता व्यथित द्वारा सम्पूर्ण देश के जैन व जैनेतर समाज को है। तब जैन धर्म के सिद्धान्त अत्यधिक, आवश्यक आलोकित किया है। एवं प्रासंगिक हैं । जैन साधु-साध्वियाँ आदर्श के हम सभी का शत-शत अभिनन्दन एवं वन्दन । प्रतीक हैं । साध्वियों की इसी परम्परा में पूजनीय
__ अद्भुत ज्योति, अद्भुत प्रज्ञा, प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी महाराज साहब का एक
. हो तुम आगम मर्मज्ञा । महत्वपूर्ण स्थान है । उनकी अमूल्य सेवाओं के प्रति
फैल रही है कीति तुम्हारी, हम श्रद्धानत हैं और उनका हृदय से अभिनन्दन
हो हर क्षेत्र में सुयोग्या ।। करते हैं। पूज्य प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी महाराज साहब
श्रीमती अनिता भण्डारी ने टोंक में भी चातुर्मास किया है और इसके अतिरिक्त टोंक में एक महत्वपूर्ण अवधि तक विराम और आगम मर्मज्ञा, प्रखर व्याख्यात्री, मृदुभाषी, विश्राम भी किया है। हम उनके अमूल्य ज्ञान से सरलता और सादगी की प्रतिमूर्ति श्रद्धेय सज्जन और आदर्श जीवन से अत्यन्त प्रभावित हुए हैं। श्रीजी महाराज साहब के बहमुखी व्यक्तित्व में
हम अपनी पूरी भक्ति और शक्ति से उनका “सादा जीवन और उच्च विचार" के अभिदर्शन अभिनन्दन करते हैं और शासनदेव से प्रार्थना करते होते हैं। हैं कि वे इन्हें दीर्घायु करें।
स्वाध्याय, मनन, चिन्तन का अद्भुत त्रिवेणी - संगम इनके विलक्षण व्यक्तित्व में परिलक्षित होता
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