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३. इतिहास के उज्ज्व ल पृष्ठ इतिहास- सागर की तरह महान और विशाल है । वर्तमान एक छोटी सी लहर को भांति अत्यन्त क्षुद्र । तरल ! __ जीवन का सिर्फ एक क्षण, यह प्रथम क्षण वर्तमान है, जिसमें हम जी रहे है ।। वर्तमान दूसरे ही क्षण अतीत हो जाता है । अनागत सत्ता-हीन है । वर्तमान विद्यमान है, और अतीत इतिहास बनकर साक्षात् हमारी स्मृतियों में, धारणाओं में जीवन्त है, इसलिए वर्तमान से भी अधिक विराट, अधिक महान और अधिक अवलोकनीय है- इतिहास !
हजारों, लाखों अनुभूतियों का महाकोश है, अतीत घटनावलियों की अनन्त तरंगो का महासागर है इतिहास । इतिहास को आंख जिसके पास है, वह सक्षम द्रष्टा है । इतिहास का शिक्षक जिसके साथ है, जीवन की परीक्षा में हर चरण पर उत्तीर्ण होने की दृढ़ संभावना उसके साथ है । इतिहास कालचक्र की वह वर्तुलाकृति है, जिसमें समाये हैं-असंख्य अनुभव, अनन्त शिक्षासूत्र । हमारा इतिहास उजली-धुधली, विरल-सरल रेखाओं का एज है । भद्र-अभद्र घटनाओं का विराट ग्रंथ है । हमें एक तटस्थ दृष्टि से देखना है, उसके चित्रों को, स्थितप्रज्ञ होकर सुनना है, उसकी पदचाप को और फिर उसी आधार पर वर्तमान क्षण का मूल्यांकन करना है ।
प्रस्तुत खण्ड में हम पढ़ सकेगे-इतिहास की उन महत्वपूर्ण प्रेरक घटनावलियों को, परिवर्तनों को, जिन्होंने जैत्व को ज्योतिष्मान् बनाया है । मानवता को महिमा प्रदान की है और साधुता को हर सन्दर्भ में श्रृंगारित किया है । आदि युगपुरुष भगवान ऋषभदेव से चरम परम पुरुष भगवान महावीर तक की पुराण-पर्वतों के बीच बहती पुण्य सलिला का दर्शन-स्पर्शन करते हुए, इतिहास रूप साक्ष्य पुरुष की आंखों से देखा उत्तर कालीन इतिवृत्त खरतरगच्छ की उज्ज्वल गरिमा मंडित गाथाओं का अकन प्रस्तुत है, एक संपूर्णता | का स्पर्श लिये हुए....
-'सरस'
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