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त्रिविक्रम - प्राकृत व्याकरण
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अच्छिणा । गंठीए गठिणा । कुच्छीए कुच्छिणा | चोरिआ चोरिं । विहीए विहिणा । पिट्ठी पिट्ठ । पृष्ठ शब्दमें (ऋ स्वरका ) इ किया जानेपरही वह केवल स्त्रीलिंग में प्रयुक्त किया जाता है, ऐसा कोई कहते हैं । अंजल्यादि ( गण में होनेवाले शब्द ऐसे हैं ) - अंजलि, बलि, निधि, रश्मि, प्रश्न, अक्षि, प्रन्थि, कुक्षि, चौर्य, विधि, पृष्ठ, इत्यादि । 'इमन्' ऐसा यहाँ जो नियमन है (तंत्रेण), उस (कारण) से (भाववाचक संज्ञा सिद्ध करनेका जो 'ख' प्रत्यय है उस ) व (प्रत्यय) का आदेश, डित् इमा ऐसा आदेश और पृथु, इत्यादि शब्दाको लगनेवाला इमनिच् प्रत्यय, इनका संग्रह यहाँ होता है । त्व (प्रत्यय) का आदेश लगकर सिद्ध होनेवाले शब्द स्त्रीलिंगमेंही प्रयुक्त होते हैं, ऐसा कोई मानते हैं ॥ ५३ ॥
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प्रथम अध्याय प्रथम पाद समाप्त
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