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वास्तव में जिस क्षण कोई व्यक्ति अपने अस्तित्व की परम ऊंचाई पर पहुंचता है उसकी सारी इच्छाएं खो जाती हैं। जब आकांक्षाएं तिरोहित हो जाती हैं तभी सिद्धियां प्रकट होती हैं। दुविधा तो यही है कि शक्तियां तभी आती हैं जब तुम उन्हें प्रयोग करना नहीं चाहते वस्तुत: वे सिर्फ तब आती हैं, जब वह व्यक्ति जो सदा से उन्हें पाना चाहता था, मिट गया होता है।
अतः पतंजलि यह नहीं कह रहे हैं कि योगी लोग ऐसा करेंगे। कभी उन्होंने ऐसा किया हो ऐसी कोई जानकारी भी नहीं है। और कुछ लोग जो इन्हें करते हैं, वस्तुत: वे इन्हें कर नहीं सकते वे केवल चालबाज हैं।
अब सत्य साईबाबा जैसे लोग स्विस घड़ियों को प्रकट किए जा रहे हैं। ये सभी चालबाजिया है और किसी को भी इन चालबाजियों के झांसे में नहीं पड़ना चाहिए। जो कुछ भी सत्य साईंबाबा कर रहे हैं, वह सारे संसार में हजारों जादूगरों द्वारा बहुत सरलता से किया जा सकता है, किंतु तुम कभी जादूगरों के पास जाकर उनके पैर नहीं छूते, क्योंकि तुम जानते हो कि वे चालबाजी कर रहे हैं। लेकिन अगर ऐसा कोई व्यक्ति जो धार्मिक समझा जाता है, यही चालबाजी कर रहा हो, तो तुम सोचते हो कि यह चमत्कार है।
पतंजलि के योग सूत्रों का यह भाग तुम्हें यह बताने के लिए है कि ये बातें संभव हैं, लेकिन वे कभी वास्तविक नहीं हो पातीं, क्योंकि जो व्यक्ति इनकी कामना रखता था, इन शक्तियों के माध्यम से अहंकार की पूर्ति करना चाहता था, अब वहां नहीं होता । चमत्कारिक शक्तियां तुमको तब उपलब्ध होती हैं जब तुम उनमें उत्सुक नहीं रहते। यह अस्तित्व की व्यवस्था है। यदि तुम कामना करोगे, तुम अक्षम रहोगे। यदि तुम कामना न करो, तो तुम अतिशय सामर्थ्यवान हो जाते हो इसे मैं बैंकिंग का नियम कहता हूं। यदि तुम्हारे पास धन नहीं है, कोई बैंक तुम्हें धन नहीं देगा, यदि तुम्हारे पास धन है तो हरेक बैंक तुम्हें धन देने को तैयार है तुम्हें जब जरूरत नहीं है, सब कुछ उपलब्ध है, जब तुम्हें जरूरत है, कुछ भी नहीं मिलता।
'सौंदर्य, लालित्य, शक्ति और बज सी कठोरता ये सभी मिल कर संपूर्ण देह का निर्माण करते हैं।'
पतंजलि इस शरीर की बात नहीं कर रहे हैं। यह शरीर सुंदर हो सकता है, परंतु परिपूर्ण सुंदर कभी नहीं हो सकता। दूसरा शरीर इससे अधिक सुंदरे हो सकता, तीसरा और भी ज्यादा क्योंकि वे केंद्र के निकट आ रहे होते हैं। सौंदर्य तो केंद्र का है। जितना दूर यह जाएगा उतना ही यह सीमित हो जाएगा। चौथा शरीर तो और भी सुंदर है। पांचवां तो करीब-करीब निन्यानबे प्रतिशत संपूर्ण है।
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लेकिन वह जो तुम्हारा अस्तित्व, तुम्हारा यथार्थ है, सौंदर्य, लालित्य, शक्ति और वज्र सी कठोरता उसमें है यह वज सी कठोरता है, और उसी समय कमल की मृदुलता भी है। यह सुंदर है किंतु सुकुमार नहीं - सशक्त है। यह शक्तिपूर्ण है, पर मात्र कठोर नहीं है। इसमें सारे विपरीत मिल जाते हैं.... जैसे कि कमल का फूल हीरों से बना हो या कमल के फूलों से हीरा बना हो, क्योंकि वहां पुरुष और स्त्री