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कोई उड़ा है? उनकी पहली उड़ान मात्र साठ सेकेंड की थी - केवल साठ सेकेंड्स - लेकिन इसने सारे इतिहास को सारी मानवता को अदभुत रूप से बदल दिया। यह संभव हो गया। कभी किसी ने सोचा
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भी न था कि परमाणु को विभाजित किया जा सकता है। यह विखंडित हुआ, और अब मानव पुनः पहले जैसा कभी नहीं हो पाएगा।
ऐसी हु सी बातें घटी हैं जिन्हें सदा असंभव समझा जाता रहा था। हम चांद पर पहुंच गए। यह असंभव का प्रतीक था। दुनिया की सभी भाषाओं में चांद को छूने की कोशिश मत करो जैसी अभिव्यक्तियां हैं। इसका अभिप्राय है, असंभव की अभीप्सा मत करो। अब ये कहावतें हमें बदलनी पड़ेगी। और सच तो यह है कि एक बार हम चांद पर पहुंच गए, अब कोई भी हमारा रास्ता नहीं रोक सकता है। अब हर चीज उपलब्ध हो गई है, यह केवल समय का सवाल है।
आइंस्टीन ने कहा था कि यदि हम एक ऐसा वाहन आविष्कृत कर सकें जो प्रकाश के वेग से चलता हो तो व्यक्ति यात्रा करता रहेगा और उसकी आयु नहीं बढ़ेगी। यदि वह एक ऐसे अंतरिक्षयान में जाता है जो प्रकाश के वेग से चलता है, और उस समय वह तीस साल का हो, तो जब वह तीस साल की यात्रा के बाद लौटेगा तो वह तीस साल का ही होगा। उसके मित्र और भाई-बंधु तीस साल बड़े हो चुके होंगे। उनमें से कुछ तो मर भी चुके होंगे। लेकिन वह यात्री तीस साल का ही होगा। कैसी बेतुकी बात कह दी आइंस्टीन का कहना है कि जब कोई प्रकाश के वेग से यात्रा करता है तो समय और इसका प्रभाव मिट जाता है। एक व्यक्ति अनंत आकाश की यात्रा पर जाकर पाच सौ वर्ष बाद वापस आ सकता है। यहां के सारे लोग मर चुके होंगे, उसे कोई नहीं पहचानेगा, और वह किसी को नहीं पहचानेगा किंतु वह उसी उम्र का होगा। तुम्हारी आयु पृथ्वी की गति के कारण बढ़ रही है। यदि वह प्रकाश के समान हो जाए; जो वास्तव में अत्यधिक है, तो तुम्हारी आयु बिलकुल भी न बढ़ेगी।
पतंजलि कहते हैं कि अगर तुमने इन सभी पांच शरीरों का अतिक्रमण कर लिया हो, इन सभी पांच तत्वों के पार जा चुके हो तो तुम ऐसी अवस्था में हो कि जिस चीज का तुम चाहो नियंत्रण कर सकते हो। मात्र एक विचार कि तुम छोटा होना चाहते हो, तुम छोटे हो जाओगे। यदि तुम बड़ा होना चाहते हो, तो बड़े हो जाओगे। यदि तुम अदृश्य होना चाहोगे तो तुम अदृश्य हो जाओगे ।
यह कोई अनिवार्य नहीं कि योगियों को इसे करना ही चाहिए। ऐसा कभी सुना नहीं गया कि सबुद्धों ने यह किया। पतंजलि ने स्वयं भी ऐसा किया हो इसकी जानकारी नहीं है। पतंजलि क्या कह रहे हैं, वे सारी संभावनाओं को उदघाटित कर रहे हैं।
वस्तुतः जो व्यक्ति अपने उच्चतम अस्तित्व को उपलब्ध कर चुका हो, वह किसलिए छोटा होने की सोचेगा? किसलिए? वह इतना मूर्ख नहीं हो सकता। किसलिए? वह क्यों हाथी जैसा होना चाहेगा? इसमें क्या सार है? और वह अदृश्य क्यों होना चाहेगा? लोगों के कुतुहल, उनके मनोरंजन में वह रस नहीं ले सकता। वह जादूगर तो नहीं है। लोग उसकी वाह वाही करें उसे इसमें कोई रस नहीं होगा। किसलिए?