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प्रवचन-१
आदमी थे, फिर उस असाधारण दुनिया के आदमी नहीं थे जिसकी हम बात करते है ! महावीर को पता भी नहीं हो सकता सपने में भी कि मैं जैन हूँ। न क्राइस्ट को पता हो सकता है कि मैं ईसाई हूँ। और जिनको यह पता है वे समझ नहीं पाएंगे क्योंकि जैसे) हम समझने से पहले कुछ हो जाते हैं तो जो हम हो जाते हैं वह हमारी समझ में बाधा डालता है। क्योंकि हम हो पहले जाते है और फिर हम समझने जाते हैं। समझने जाना हो तो खाली मन जाइए। इसलिए जो जैन नहीं है, बौद्ध नहीं है, हिन्दू नहीं, मुसलमान नहीं, वह समझ सकता है, वह सहानुभूति से देख सकता है। उसकी प्रेमपूर्ण दृष्टि हो सकती है क्योंकि उसका कोई आग्रह नहीं। उसका अपना होने का कोई आग्रह नहीं। और बड़े मजे की बात है कि हम जन्म से जैन हो जाते हैं, जन्म से ही बौद्ध हो जाते हैं। मतलब जन्म से हमारे धार्मिक होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। अगर कभी भी मनुष्य को धार्मिक बनाना हो तो जन्म से धर्म का सम्बन्ध बिल्कुल ही तोड़ देना जरूरी है। जन्म से कोई कैसे धार्मिक हो सकता है, और जो जन्म से ही पकड़ लिया किसी धर्म को तो वह . समझेगा क्या? समझने का मौका क्या रहा ? अब तो उसका आग्रह निर्मित हो गया--प्रेजूडिस, पक्षपात निर्मित हो गया। अब वह महावीर को समझ हो नहीं सकता क्योंकि महावीर को समझने के पहले महावीर तीर्थकर हो गए, परम गुरु हो गए, सर्वज्ञ हो गए, परमात्मा हो गए। अब परमात्मा को पूजा जा सकता है, समझा तो नहीं जा सकता, तीर्थंकर का गुणगान किया जा सकता है, समझा तो नहीं जा सकता। समझने के लिए तो अत्यन्त सरल दृष्टि चाहिए जिसका कोई पक्षपात नहीं। ___ यह मैं कह सकता हूँ कि महावीर को समझ सका हूँ क्योंकि मेरा कोई पक्षपात नहीं, कोई आग्रह नहीं । लेकिन हो सकता है कि जो मेरी समझ हो, वह शास्त्र में न मिले। मिलेगी भी नहीं, न मिलने का कारण पक्का है। क्योंकि शास्त्र उन्होंने लिखे हैं जो बंधे हैं, शास्त्र उनके लिखे है जो अनुयायी हैं, शास्त्र उन्होंने लिखे है जो जैनी हैं, शास्त्र उनके लिए लिखे हैं जिनके लिए महावीर तीर्थकर है, सर्वज्ञ हैं, शास्त्र उनके लिखे हैं जिन्होंने महावीर को समझने के पहले कुछ मान लिया है। मेरी समझ शास्त्र से मेल न खाए"""और यह में आपसे कहना चाहता हूँ कि समझ कभी भी शास्त्र से मेल नहीं खाएगी । समझ और शास्त्र में बुनियादी विरोष रहा है। शास्त्र नासमझ ही रखते हैं। नासमस इन अनों में कि वे पक्षपातपूर्ण है। नासमझ इन अर्थों में किये