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लब्धिसारः। .
३९ ठिदिखंडाणुकीरण दुचरिमसमओत्ति चरिमसमये च। उक्कट्टिदफालीगददवाणि णिसिंचदे जम्हा ॥ १३४ ॥ स्थितिखंडानुत्करणं द्विचरमसमय इति चरमसमये च ।
अपकर्षितफालिगतद्रव्याणि निषिंचति यस्मात् ॥ १३४ ॥ अर्थ-सम्यक्त्वमोहनीयकी आठवर्ष प्रमाण स्थितिके अन्तर्मुहूर्तमात्र आयाम लिये हुए स्थितिकांडकका आठवर्षकरनेके दूसरे समयमें प्रारंभ किये उनका स्थितिकांडकोत्करण काल यथासंभव अन्तर्मुहूर्तमात्र है उसकालके प्रथम समयसे लेकर द्विचरमसमयतक जो फालि. द्रव्य सहित अपकृष्ट द्रव्य निक्षेपण करते हैं वह सम्यक्त्वमोहनीके सत्त्वद्रव्यसे असंख्यात गुणा कम है। और उसके अन्तसमयमें जो अन्तफालिका द्रव्य दिया जाता है वह सब द्रव्यके संख्यात भागमात्र है । क्योंकि अपकर्षण भागहार संभवता है ॥ १३४ ॥
अडवस्से संवहियं गुणसेढीसीसयं असंखगुणं। पुचिल्लादो णियमा उवरि विसेसाहियं दिस्सं ॥ १३५॥
अष्टवर्षे संप्रहितं गुणश्रेणीशीर्षकं असंख्यगुणम् ।।
पूर्वस्मात् नियमात् उपरि विशेषाधिकं दृश्यम् ॥ १३५॥ अर्थ-आठवर्ष करनेके समयमें गुणश्रेणीका शीर्ष ( अग्रभाग ) उसके पूर्व सत्त्वद्रव्यको और निक्षेपण किये द्रव्यको मिलानेसे दृश्यमान द्रव्यका जो प्रमाण है वह इसके वाद पूर्वसमयके गुणश्रेणी शीर्षके दृश्यमान द्रव्यसे असंख्यात गुणा है । और इसके ऊपर आठवर्ष करनेके द्वितीयादि समयके गुणश्रेणी शीर्षका द्रव्य क्रमसे पूर्व पूर्व गुणश्रेणीशीर्षके द्रव्यसे विशेषकर अधिक है । असंख्यात गुणा नहीं है ॥ १३५ ॥ ..
अडवस्से य ठिदीदो चरिमेदरफालिपडिददवं खु । संखासंखगुणूणं तेणुवरिमदिस्समाणमहियं सीसे ॥ १३६ ॥
अष्टवर्षे च स्थितितः चरमेतरफालिपतितद्रव्यं खलु ।
संख्यासंख्यगुणोनं तेनोपरिमदृश्यमानमधिकं शीर्षे ॥ १३६ ॥ अर्थ-आठ वर्ष करनेके पहले समयमें मिश्रसम्यक्त्वमोहनीकी अन्त दो फालियोंका दिया हुआ द्रव्य संख्यात व असंख्यातगुणा कम है और सर्वसत्तारूप द्रव्य और निक्षेपण किये द्रव्यको मिलानेसे जो दृश्यमानद्रव्य वह पूर्व पूर्व समयके गुणश्रेणीशीर्षके द्रव्यसे उत्तर उत्तर समयके गुणश्रेणी शीर्षका द्रव्य कुछ विशेषकर अधिक है । गुणकाररूप नहीं है ॥ १३६॥
जदि गोउच्छविसेसं रिणं हवे तोवि धणपमाणादो।... जस्सि असंखगुणूणं ण गणिजदि तं तदो एत्थ ॥ १३७ ॥..