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गाथा
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११३
गाथा – ७४, ७५, ७६, गुणितकाश जीव का लक्षण
७७,७८ गाथा - ७९
ज्ञानावरण, दर्शनावरण प्रकृतियों और आहारकसप्तक
के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा -८०
कर्मचतुष्क की अवध्यमान अशुभ प्रकृतियों के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व
सातावेदनीय के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा - ८२
मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्व मोहनीय के उत्कृष्ट
प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा -८३
अनन्तानुबंधी कषायों के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का
स्वामित्व गाथा - ८४ नपुंसकवेद के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा - ८५ स्त्रीवेद के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा - ८६, ८७ पुरुषवेद के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व
संज्वलन क्रोधादित्रिक के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का
स्वामित्व गाथा-८८
संज्वलन लोभ एवं यशःकीर्ति के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व तैजससप्तक आदि नामकर्म की वीस शुभ ध्रुववंधिनी
प्रकृतियों के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा -८९
स्थिर और शुभ नामकर्म के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व, सम्यग्दृष्टि प्रायोग्य शुभ ध्रुववंधिनी प्रकृतियों के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व नरकद्विक, देवगतिनवक के उत्कृष्ट प्रदेश संक्रम का
स्वामित्व गाथा - ९१
मनुष्यगतिद्विक के उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम का स्वामित्व गाथा - ९२ स्थावर, एकेन्द्रिय जाति, आतप उद्योत के उत्कृष्ट प्रदेश
संक्रम का स्वामित्व
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गाथा - ९०
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