________________
* जिनसहस्रनाम टीका - १११ * प्रभु का महाद्युति यह नाम सार्थक ही हैं। अनेकार्थ कोश में द्युति के शोभा, दीधिति आदि अनेक अर्थ हैं।
महामतिर्महानीतिर्महाक्षान्तिर्महादयः। महाप्राज्ञो महाभागो महानन्दो महाकविः ।।१०।।
अर्थ : महामति, महानीति, महाक्षान्ति, महादय, महाप्राज्ञ, महाभाग, महानन्द, महाकवि ये जिनेश्वर के नाम हैं।
____टीका - महामतिः = महती मतिर्बुद्धिर्यस्येति स महामतिः मतिर्बुद्धीच्छयोरित्यनेकार्थे - जिनकी बुद्धि केवलज्ञान रूप होने से महान् एवं विशाल थी इसलिए महामति कहे जाते हैं। मति शब्द के मति, बुद्धि, इच्छा आदि अनेक अर्थ हैं।
___ महानीतिः = महती नीतिायो यस्येति स महानीतिः । उक्तमनेकार्थे - नातिनये प्रापणे च = जिनकी नीति अर्थात् न्याय विशाल निर्दोष था वे महानीति हैं। नीति, नय, प्रापण आदि एक-अर्थवाची हैं। महान् नय प्ररूपणा जिनकी वे महानीति हैं।
महाक्षान्तिः = महती क्षान्तिः क्षमा यस्येति स महाक्षान्तिः = आपकी क्षान्ति, क्षमा विशाल होने से आप महाक्षान्तिवान हैं।
महादयः = महती दया प्राणिरक्षा यस्येति महादयः = प्रभु महान् दयावान हैं। क्योंकि सब प्राणियों के रक्षक हैं। इसलिए महादय कहा है।
महाप्राज्ञः = महती प्रज्ञा बुद्धिविशेषो यस्येति महाप्राज्ञः = प्रभु की बुद्धि विशेष विशाल होने से उन्हें महाप्राज्ञ कहते हैं।
महाभागः = महान् भागो राजदेयं यस्य स महाभागः, अथवा महेन पूजाया आ समन्ताद् भज्यते सेव्यते स महाभागः, अथवा महान्भागः कर्मात्मश्लेषो यस्येति महाभागः - जिनको अन्य राजागण महा करभाग (टैक्स) अर्पण करते हैं ऐसे प्रभु महाभाग हैं। अथवा पूजन करने के लिए सर्व देश से आकर भक्तगण जिनकी पूजा करते हैं ऐसे वे प्रभु महाभाग कहे जाते हैं या कर्म से आत्मा का विश्लेष होने, अलग होने योग्य जिनका विशाल भाग्य है वे महाभाग हैं।