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है सो वरप आयु ताका लेखा करि देखा जब, आधी
तो अकारथ ही सोवत विहाय रे । आधीमें अनेक
रोग बालवृद्धदशाभोग, और हुं सँजोग केते ऐसे है, बीत जॉयर ॥ बाकी अब कहा रही ताहि तू विचार
सही.कारजकी बात यही नीकै मन लाय रे । खातिरमें , - आवे तो खलासीकर इतनेमें, भाव फँसि फंदवीच दीनों समुझाय रे ॥ २७ ॥
बुढ़ापा। बालपने वाल रह्यो पीछे गृहभार वह्यो, लोकलाजकाज वांध्यो पापनको ढेर है । अपनो अकाज कीनों लोकनमें जस लीनों. परभी विसार दीनों विष । वश जेर है ॥ ऐसे ही गई विहाय अलपमी रही आय. नरपरजाय यह आँधेकी बटर है। आय सतं भैया ! अब काल है अवैया अहो ! जानी रे सयाने तेरे अजी डू अँधेर है ॥ २८॥
मत्तगयंद । मेवया ।। ___ बालपन न सँभार सक्यो कछु, जानत नाहिं हिताहितहीको । यौवन वैसे वसी वनिता उर, के नित राग रह्यो लछमीको ॥ यों पन दोइ विगोइ दये नर, डारत
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१ आयु-उमर । २ सफेद बाल । ३ वयम-उमर । Gravacresvetovalveg roverenovee r vol vervo volvere
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