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लामें नित्य और ठीक समयपर नहीं आता, तो वह नियमोंका उल्लंघन करके अपने अध्यापकोंका निरादर करता है; इस लिए एक तो उसके अध्यापक उसको कृपादृष्टिसे नहीं देखते, दूसरे वह शिक्षासे लाभ नहीं उठा सकता और आयुःपर्यन्त मूर्ख रहता है ।
और यदि यह बुरी बान उसमें सदाके लिए पड़गई और आयु:पर्यन्त रही, तो उसका शील भङ्ग हो गया और वह किसी सांसारिक काममें नहीं फलता फूलता । तुममें सोच समझ है और आगे जाकर तुम संतानवाले होगे, तुम्हें चाहिये कि आज्ञापालन और कालानुवृत्तिके गुणोंको ग्रहण करो इसलिए कि तुम अपने छोटे भाई बहनों और सन्तानको श्रेष्ठ उदाहरण बताओ और स्वयं उतम आदर्श बनकर दिखाओ । तुम अगले वंशके चलानेवाले हो, इस लिए हिन्दुस्तानकी अगली दशाका उत्तम होना बहुत करके तुम्हारे ही उत्तम और धार्मिक शीलपर निर्भर है । कहते है कि जाति व्यक्तियोंसे मिलकर बनी है और यदि किसी जातिकी प्रत्येक व्यक्ति उत्तम सज्जन और धार्मिक है तो वह सारी जाति उत्तम सज्जन और धार्मिक कहलाई जा सकती है । अपने समयको बहुमूल्य समझनेमे तुम अपने आपको जीते जी बहुत कुछ सुधार सकते हो और तुम्हारे पीछे लोग तुमको भलाईसे याद करेंग और तुम्हारा यश और कीर्ति इस संसारमें रहेगी और लोग तुम्हारा अनुकरण करेंगे।
३. अब हम परिश्रमका वर्णन करते है । प्रत्येक मनुष्यको अपना २ काम करना पड़ता है और यह काम करनेकी शक्ति सर्वोत्तम दान है जो ईश्वरने मनुप्यको दी है । जीवनका सबसे अधिक राख उन लोगोंको दिया गया है जो अच्छे और पवित्र