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उत्पन्न करने, उसे प्रसन्न रखने और दूसरोंके लिए उपयोगी बनानेके लिए इस अज्ञान और मूर्खताका दूर करना अवश्य है । कठिनाइयोंके विषयमें बड़े लड़कोंकी भी यही दशा है। प्रत्येक कठिनाईकी हमें नई २ बातें विदित होती जाती हैं, हमारा ज्ञान
और बुद्धिमत्ता बढ़ती जाती है, इससे बड़ी शिक्षा मिलती है और कठिनाईके साधनमें सफल होनेसे जी बड़ा प्रसन्न होता है।
कठिनाइयोंके विना उन्नति और बुद्धिप्रकाश नहीं हो सकता। जब मनुष्यको किसी काममें कठिनाइयों और रोकका सामना करना पड़ता है, तो इसका यह तात्पर्य है कि वह मूर्खताकी किसी विशेष सीमाको पहुंच गया है, और अब उसे इस कठिनाईसे निकलने और उत्तम मार्ग विदित करनेके लिए अपनी सम्पूर्ण शक्ति और बुद्धिमत्तासे काम लेना होगा, और उसकी भीतरी शक्तियां प्रकाशित होना चाहती हैं। ___ बहुतसे मार्ग ऐसे है जिनका अन्त घबराहट है, और ऐसे भी मार्ग हैं, जो अवश्य दुःख और कष्टकी टेढ़ी मेढ़ी औखी घाटियोंसे निकाल देते हैं । चाहे मनुष्य दुःखके बन्धनसे कैसा ही जकड़ा हुआ क्यों न हो फिर भी वह चाहे और यन करे तो उस बन्धनको तोड़कर निकल सकता है। परन्तु उससे निकलनेकी यह रीति नहीं है, कि निराश होकर बैठा रोने लगे, या बुड़बुड़ाने लगे और बेसोचे समझे यह चाहे कि मेरी तो इससे अन्य दशा हो जाए । उसे चाहिए कि इस दुविधामें सोच विचार और उद्यमसे काम ले, अपने आपको वशमें रक्खे, और पुरुषार्थ और उद्योग करके अपने आपको संभाले, घबराहट और चिंतासे तो अन्धकार