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जनधर्म की फुल छपा हुई पुस्तक वा ग्रंथ इस पत सहा मलग
१
लाला जैनालाल जैन-मु० देववन्द जि० सहारनपुर
श्रीपरमात्मने नमः
श्रीसोमप्रभाचार्यविरचिता
सुक्तमुक्तावली
तथा
जैनमन्थरत्नाकरस्थ
रत्नकणिका न. ३.
स्वर्गीय कविवर बनारसीदासजीकृत भाषासुक्तमुक्तावली.
जिसको देवरी जिला सागरनिवासी श्रीनाथूराम प्रेमी कविने संशोधन किया.
और
मुम्बयीस्थ
जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालयके स्वत्त्वाधिकारीने
निर्णयसागर छापखानेमें छपाकर प्रसिद्ध किया.
वीरसंवत् २४३१ | इस्वी सन १९०४. [ मूल्य । आने.
प्रथमबार ५०० प्रति ]