________________
किया है कि, नहीं इसका संतोषप्रद उत्तर श्वेताम्बरी भाइयोंकी ओरसे नहीं मिलता।
चौथे अधिकारी दिगम्बरी भाई हैं। वे प्रशस्तिमें निमलोक पढते है:विवेकात्त्यक्तराज्येन राज्ञेयं रत्नमालिका । रचितामोघवर्षेण मुधियां सदलंकृतिः ।। २० ॥
अर्थात् विवेकसे जिसने राज्य छोड़कर दीक्षा ले ली है, ऐसे राजा अमाधवर्षने यह विद्वानोंके लिये सुन्दर आभूषणरूप रस्नमाला बनाई है। । अब यह विचार करना चाहिये कि. राजा अमोघवर्ष कौन था और कब हुआ । प्राचीन इतिहासोंके देखनेसे जाना जाता है कि. अमोघवर्ष यह नाम नहीं किन्तु पदवी थी. दक्षिणमें राज्य करने वाले राष्ट्रकूटवंशक ( राठौरवंशक ) चार राजाओंने और मालवेके परमार वंशीय राजा मुंजने धारण की थी। इनमें राठौर राजा अमोघवर्ष प्रथम और परमार गजा मुंज ये दो ही विद्वान् और कवि अं. शेष नीनके विद्वान होनमें कोई प्रमाण नहीं मिलता है और उनमम किमीने भी छह वर्षसे अधिक राज्य नहीं किया ।
परमार राजा मुंज जिसका दूसरा नाम वाक्पतिराज भी था. प्रसिद्ध गजा मांजका पितृव्य ( बड़ा काका ) था और उसकी मभाम अमितगति ( धर्मपरीक्षा--सुभाषितरलसंदोह-श्रावकाचार आदि जैनग्रन्थोंके कर्ता ), धनपाल (तिलकमंजरी महाकान्यक
१ इंडियन एण्टिकेरी जिल्द १९ पृष्ट ३७८ बम्बई गेनेटिअर जिल्द ? भाग २ पृष्ट २०१ और दिगम्बरीय भंडारोंकी अनेक प्रतियां।