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गुरु कौन है । उत्तर-(अविषयत्तिर्निग्रन्यः स्वस्वरूपस्यः) जिसकी प्रवृत्ति विषयोंमें नहीं है तथा जो परिग्रहहित और अपने आत्मस्वरूपमें स्थिर रहता है ॥२॥
किं दुर्लभं नृजन्म
प्राप्यदं भवति किं च कर्त्तव्यम् । आत्महितमहितमंग
त्यागो रागश्च गुरुवचने ॥ ३ ॥ , प्रश्न - कि दल मम । दुर्लभ क्या है। उत्तर । नृजन्म : मनुष्य जन्म । ६ प्रश्न प्राप्यदं भवति किं च कत्तव्यम ) दृम मनु प्य जन्मको पाकर क्या करना चाहिय । उत्तर-- आत्महितमाहित महत्यागा रागश्च गुरुवचन । आन्माका हित, अहितमा परिन हका त्याग और गुम्वचनामें प्रेम करना चाहिये ।। ३ ।।
का मुक्तिरविलकर्म
क्षतिरम्याः प्रापकश्च को मार्गः । दृष्टिर्जानं वृनं
कियत्मुखं तत्र चानन्तम ॥ ४ ॥ ७ प्रदन ( का मुक्तिः ) मोक्ष क्या है । उत्तर - ( मखिलकर्य भतिः ) समस्त कर्मोका नाश होना । ८ प्रश्न ( मस्याः प्रापकच को मार्गः । उसके ( मोक्षकं । प्राम करनेका मार्ग कौन है । उत्तर ५ अष्टिानं वृत्तम् ) सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान और सम्यकचारित्रकी