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श्रीवीतरागाय नमः ।
सुलभ ग्रन्थमालाका प्रथम पुष्प ।
स्वर्गीय पंडित
श्रीलालजी के स्मरणार्थ ।
श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचिता
बारस अणुबेक्खा ।
[ द्वादशानुप्रेक्षा । ]
जिसे
पण्डित मनोहरलाल गुप्त और नाथूराम प्रेमीनं संस्कृतछाया और भाषाटीकासे विभूषित की और
श्रीजैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय बम्बईने
निर्णयसागर प्रेस कोलभाट लाईन नं. २३ में बा० रा० घाणेकर के प्रबन्धसे छपाकर प्रकाशित की ।
प्रथमावृत्ति ]
श्रीवीरनि० संवत् २४३७ । दिसम्बर सन् १९१० ।
[ मूल्य सवा आना ।