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। लड़केने उ
समझाए पर लड़का सदा यही कहता रहा कि मैं थोड़ी देरके लिए जाता हूं उनकी संगति से मेरा क्या बिगाड़ हो सकता है । बाप बहुत दुःखी था । एक दिन उसने लड़केसे कहा, " तू तनिक इस कोयले को अपने हाथपर रख ले" । बेटेने वैसा ही किया । बाप ने कहा, "अच्छा अब फेंक दे” सको फेंक दिया । तब बापने कहा, – “ देख तेरी हथेलीपर काला धब्बा है या नहीं ?" लड़का बोला "हां जी" । तब उस वैद्यने समझाया, -- “ देख ! कोयला केवल एक पल भर तेरे हाथ में रहा, पर उसने भी अपना प्रभाव दिखा दिया; इसी प्रकार यद्यपि कोई मनुष्य थोड़ी देर के लिए बुरी संगतिमें जाए तथापि उसके प्रभावसे नहीं बच सकता" । उस दिनसे फिर लड़केने जुवारियोंके संग बैठना उठना बिल्कुल छोड़ दिया ।
वाल्मीकिका वर्णन करते हैं कि पहले वह डाकू था, डाका मनुष्यों को जानजो कुछ उसे इस
मारना और लूट मार करना उसका काम था, से मार डालना उसके बाएं हाथका कर्तब था, प्रकार मिलता था उसीसे उसके सम्बन्धी अपना पेट भरते थे I उमर बीत गई, उसका हृदय बड़ा कठोर हो गया, पथिक उसका नाम सुनकर कांपते थे और उसके उरसे कोई जंगलमें नहीं आ सकता था । एक दिन एक साधु अकस्मात् उधर से गुजरा, वह घातमें दबक रहा था, छलांग मारकर झट उसके सिरपर पहुंचा और कहने लगा, – “जो कुछ तेरे पास है मुझे सौंप दे, नहीं तो अच्छा नहीं होगा" | साधुने हंसकर कहा, "मेरे पास क्या है जो तुझको दूं; पर यदि तू मेरे प्रश्नका उत्तर देगा, तो मैं तेरा उपकार करूंगा” । वाल्मीकिको उसकी निर्भयता