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अपना काम आदिसे ही क्रमानुसार विधिवत् और सुन्दरतासे करो, अपने ही बनाए हुए संक्षेप और सारसंग्रहपर भरोसा रक्खो
और दूसरोंने जो रुपया कमानेके लिए पुस्तकोंके संक्षेप किये हैं उनको मोल लेकर न पढ़ो और न कण्ठ करो, अपने कृत्य करनेमें बराबर लगे रहो और अपनी नीरोगता और आचरणका ध्यान रखकर प्रयत्नसे पढ़ते लिखते रहो ।
(क) जीवनके सरल नियम । अब म कुछ प्रस्ताव वर्णन करते है जिनके अनुसार काम कग्नेस श्रेय प्राप्त होता है। ये एक प्रकारकी पगडंडियां हैं जिनपर चलनस मनुष्य उत्तम पद प्राप्त कर लेता है । आध्यात्मिक पगडंडियों में सबसे उत्तम पगडंडी यह है कि मनुष्य जीवनके सीधे मादे नियमोंको भले प्रकार समझे । जो मनुष्य इन नियमोंको समझकर उनके अनुसार चलता है, उसे परम सुख और शान्ति प्राप्त होती है, लोभ जाता रहता है, संशय भ्रम और घबराहट मिट जाती है और सकल दुःखोंसे निवृत्ति हो जाती है। जो नियम सांसारिक वा भौतिक वस्तुओंमें हैं वे ही आध्यात्मिक वस्तुओंमें भी पाए जाते हैं।
सांसारिक वस्तुओंमें यह एक नियम है कि प्रत्येक मनुष्य अपना पालन पोषण आप करे, अपनी जीविका आप कमाए, और जो काम नहीं करेगा उसे भोजन भी नहीं मिलेगा । लोग इस नियमको ठीक और अच्छा जानकर इसपर चलते हैं और