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उस कृत्य के विषय मनकी जो भावना होती है उस भावनामें यह शक्ति है और जिस प्रकार कोई कृत्य किया जाता है उसीपर प्रत्येक वस्तुका आश्रय है । देखो छोटे २ कामों को निष्कामता, बुद्धिमत्ता और पूर्णतासे करनेसे परम आनन्द वा हर्ष ही नहीं प्राप्त होता वरच एक बड़ी शक्ति वा सामर्थ्य उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि सम्पूर्ण जीवन छोटी २ बातोंसे ही मिलकर बना है । बुद्धिमत्ता इसमें है कि जीवनके सारे काम जो नित्य प्रति होते रहते हैं सोच विचारकर किये जाएं और जब किसी वस्तुके भाग पूरे २ बनाए जाएंगे तो वह सम्पूर्ण वस्तु भी अति सुन्दर और निर्दोष होगी ।
संसार में देखो प्रत्येक वस्तु छोटी २ वस्तुओंसे मिलकर बनी है और बड़ी २ वस्तुओंकी पूर्णता छोटी २ वस्तुओं की पूर्णतापर निर्भर है। छोटे २ कामोंपर ध्यान न देनेसे बड़े २ काम बिगड़ जाते है । यथा ईंटपर ईंट भली प्रकार लगानेसे और लम्बसूत्रको ठीक २ रखकर काम करनेसे एक बड़ा और सुन्दर मन्दिर बन जाता है । इससे स्पष्ट विदित है कि छोटेसे ही बड़े होते हैं और जबतक छोटे २ कण और सामग्री ठीकसिर न मिलाई जाए तब - तक कोई उत्तम वस्तु प्रकट नहीं हो सकती ।
जो पुरुष केवल श्लाघाके अभिलाषी हैं और बड़े बनना चाहते हैं वे किसी बड़े कार्य करनेकी तो इच्छा रखते हैं पर जिन छोटे २ नित्य कार्यों पर तत्काल ही ध्यान देना चाहिये उनको तुच्छ समझकर छोड़ देते हैं । जैसे नम्रता न होनेके कारण मूर्ख विद्यासे शून्य रहता है और अपने घमण्डमें होकर अपने आपको बड़ा जानता है और अनहोने काम करने चाहता है ।