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विजयसे यह तात्पर्य है कि बुरी बानको वशमें कर लें, क्रोध और अन्य कषायोंको जीत लें, और इन्द्रियोंको दमन करके आत्मिक उन्नति प्राप्त कर लें । कभी २ जब तुम इस सांसारिक युद्धमें परास्त होने लगो; जब तुम्हें यह प्रतीत हो कि न्याय एक स्वप्नमात्र है, सरलता भक्ति और सत्यको कोई नहीं पूछता, और भूत चुडैल ही स्वामी है; जब आशा घटने और डिगमगाने लगे, यही तो समय है जब तुम्हें इस बातका पूर्ण विश्वास रखना चाहिये कि कुछ ही क्यों न हो सत्य अवश्य प्रबल होगा और सत्यहीकी जय होगी और इसी समयमें तुम्हें संदेह और निराशाको अपने मनसे सर्वथा दूर कर देना चाहिये, और तुम्हें इस भवसागरसे पार उतरनेके लिए कटिबद्ध होना चाहिये और इन सांसारिक घटनाओंपर प्रबल होनेके लिए अपने आपेको जीतना चाहिये । यही विजय है और यही एक सर्वोत्तम बात है । बहते पानीकी ओर चलना सुगम है, परन्तु पुरुष वही है जो, बहावके प्रतिकूल चले और कठिनाइयोंका सामना करे । जीवनका सार इसमें है कि जब तुम्हें अपने जीवनमें ईर्ष्या, विरोध, नीचता, विमति और प्रमाद आदि आक्रमण करें, उस समय तुम इन सबपर प्रबल हो जाओ । उस स्थिर दीपकगृहकी नाई बनो, जो समुद्रकी प्रचण्ड लहरोमें खड़ा होकर उजाला देता रहता है और उनके तीव्र झकोरोंका धीरतासे सहन करता है । विजय यही है । जब तुम्हें अपनी प्रतिष्ठा या नियमके भङ्ग करनेसे ख्याति, धन हार्दिक इच्छा या मनोकामनाके प्राप्त करनेका अवसर मिले और तुम उसके लोभमें आकर अपना नियम भङ्ग न करो, उस समय