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में समानें बन रही हैं और हमारे बहुतसे भाई नई २ बातें सीखने, विद्या और कला प्राप्त करने, डिगरियां लेने इत्यादि कामोंके लिए अंगरेजोंकी विलायत और अन्य देशोंमें जाते हैं । तुमसे बहुतसे अनेक धर्मसम्बन्धी समाजों और सभाओंके सभासद हो
और देशके सुधारके लिए बहुधा जो उपदेश दिए जाते हैं उन्हें सुनने जाते हो । निस्संदेह ये सब अच्छे समयके चिन्ह हैं और इनसे विदित होता है कि आगे उन्नतिका काल शीघ्र ही आनेवाला है । हमें केवल इस बातका ध्यान रखना चाहिये कि हम आपसमें फूट न डालें और पृथक् २ भेद न बना लें और हमें चाहिये कि जो नई बात ग्रहण करें उसे पहले भली भांति सोच समझलें और भेडाचालकी नाई अंधाधुंद काम न करें।
५. तुम्हें छात्रोंकी नाई सर्वहितकारी पुस्तकालयोंमें जाना चाहिय । वहां जाकर पुस्तकें पढ़ो, जो कुछ पढ़ो उसे सोचो और अपने शब्दोंमें वर्णन करनेका यत्न करो । महान् और कुलीन पुरुषोंके जीवनचरित्र पढ़ो और उनके वृत्तान्तसे धर्म और नीतिकी शिक्षा ग्रहण करो।
६. आज कल लोगोंमें जो दूषण फैल गए है उनका अनुकरण न करो। हमारे कुछ भाइयोंको कोरी बातें बनाने और मदिरा पीनेका चस्का पड़ गया है । बड़े खेदकी बात है कि आज कल ज्यों २ सभ्यता बढ़ती जाती है लोगोंमें मदिरापान करनेकी बुरी बान फैलती जाती है। विपरीत इसके तुम्हें चाहिये कि धैर्य और दृढतासे अपना काम किए जाओ और शांतखभाव और संयत रहो; क्योंकि जबतक धीरता, लगातार परिश्रम, और संयमसे काम न किया जाए, तो कुछ भी श्लाघनीय कर्म नहीं हो सकता।