Book Title: Jambu Azzayanam and Jambu Charitam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthanam

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Page 17
________________ सिरिपउमसुंदरउवज्झायविरइयं जंबुअज्झयणं तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था / वण्णओ / तत्थ णं रायगिहे नयरे गुणसिलए नामं चेइए / वण्णओ / तत्थ णं रायगिहे सेणिए नामं राया होत्था / मंति अभयनामं कुमारे चउबुद्धिनिउणे / तेणं कालेणं तेणं समएणं पण्डितमानसिङ्घरचितं जम्बूचरितम् महावीरं जिनं नत्वा सर्वज्ञं सुखदायकम् / जम्बूस्वामिचरित्रं हि संस्कृतीकृत्य लिख्यते // 1 // मातर्दह मे दुरितं त्वरितं सद्बुद्धिभाजनम् / कुरुत मर्त्यसुरासुरवन्द्यो येनाहमभिवन्दे // 2 // कुरु कर्पूरगौराङ्गी शास्त्रे चास्मिन्सहायताम् / प्रतिभाहेतुसद्भावेऽप्यहमिच्छाम्यनुग्रहम् // 3 // सदा सुन्दरमाभाति त्वद्वक्त्रं कमलोपमम् / ततस्त्वद्वकालीनोऽयं स्वान्तो मे भ्रमरायते // 4 // दुष्करं योजनं तावद्यावत्त्वं न प्रसीदसि / त्वद्देव्यनुग्रहे प्राप्ते दुष्करं सुकरं भवेत् // 5 // वाग्बीजे ! हन दुर्बुद्धि सुबुद्धि देहि शाश्वतीम् / मानसिङ्घाभिधानोऽहं संस्कृतं योजयाम्यतः // 6 // तस्मिन्काले चतुर्थारकलक्षणे तस्मिन्समये राजगृहं नाम नगरमभूत् / वर्णतोऽलकासदृक्षं प्रमुदितं प्रक्रीडितं यावदभिरूपं प्रतिरूपमतीव मनोहरमृद्धिसमन्वितं यथौपपातिकेतथा वाच्यम् / तत्र राजगृहे गुणशिलकनाम चैत्यं यक्षायतनमस्ति वर्णतो यथौपपातिके। तस्मिन्नगरे श्रेणिकनामा नृपतिरस्ति / तस्य राज्ञश्चतुर्बुद्धिनिधानाभयकुमारनामामात्योऽभवत् / ततः सुखेन राजा राज्यं पालयति श्रेणिकः / जंबु अज्झयणं : जम्बूचरितम्

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