________________
(३४) नदीका नाम चर्मवती प्रसिद्ध है. ब्राह्मण और हिंदुधर्ममें मांसभक्षण और मदिरापान बंध हो गया यह भी जैनधर्मका प्रताप हैं. महावीर स्वामीका अहिंसाधर्मही ब्राह्मणधर्ममें मान्य हो गया" इत्यादि ॥
६ पृ. १०३ थी-काका कालेलकरना लेखनो सार-विहारभूमीना प्रवासना वखते महावीर भगवाननी कैवल्यभूमीनामना लेखमां पोते लखे छे के "नैनोनी मूर्तिओज ध्यानने माटे होवी जोइए, चित्तने एकाग्र करवानी शक्ति ए मूर्तिओमां जरुर छे, पावापुरीमां महावीरनुं निर्वाणस्मरण करावे छे के आ संसारर्नु परम रहस्य, जीवननो सार, मोक्षनु पाथेय, तेमना मुखारविंदमांथी ज्यारे झरतुं हो त्यारे ते सांभळवा कोण कोण बेठा हो? पोतानो देह हवे पडनार छे एम जाणी प्रसन्न, गंभीर उपदेश करी बधी छेल्ली घडीओ काममां लई लेनार ते परमतपस्वीनुं छेल्लु दर्शन कोणे कर्यु हशे ? तेमनो उपदेश-दृष्टिने पण अगोचर एवा सूक्ष्मजंतुथी मांडीने अनंतकोटी ब्रह्मांड सुधी सर्व वस्तुजातनुं कल्याण चाहनार ते अहिंसामूतिर्नु ' हार्द ' कोणे ग्रहण कर्यु हशे ? माणस अल्पज्ञ छे, तेनी दृष्टि एकदेशी संकुचित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org