________________
(५५)
विद्वान् एवा ब्राह्मणोनुं अनुकरण करवामां बौद्धोने सरमाववाबिलकुल कारण नथी ए देखीतुंज छे. एटला माटेज जैन अने बौद्ध जाते ब्राह्मण नहीं होय छतां पण बहुमानथी पोताना ग्रंथोमां ब्राह्मण शब्द लगाडे छे. __हवे केटलाक कहेशे के, आ संन्यास कदाच जैनोए अने बौद्धोए ब्राह्मणो पासेथी लीधो होय तो पण तेनो उद्देश क्षत्रिओनी प्रीतिना माटेज हतो एम देखाय छे.
बुद्धे प्रथम मोटा मोटा मंडलोने उपदेश कर्यो एम ऑल्डेन. वर्गे सिद्ध करीने बताव्युं छे. कारण बुद्धे प्रथम बनारसमां जे व्याख्यान आप्युं हतुं तेनो भावार्थ एम छे के, “एमना माटे मोटा वंशना मोटा मोटा पुरुषो गृहस्थाश्रमनो त्याग करी यति-. धर्मनी दिक्षा ले छे" जैनो पण ब्राह्मणो करतां क्षत्रियोने विशेष पुज्य गणे ई एम तेमनो धर्मसंस्थापक जे महावीर तेनी हकीकत लखतां जैन चरित्रकारोए तेना जरायुगर्भने ब्राह्मणस्त्री देवानन्दाना गर्भाशयमाथी काढीने क्षत्रियाणीना गर्भाशयमां मुंक्यो ए उपरथी स्पष्ट देखाय छे. एम थवानुं कारण जैनलोको एम कहे छे के, तीर्थकर जेवा धर्मसंस्थापकोनो जन्म ब्राह्मण जेवा हलका कुलमां थतो नथी. इतरजातिओना यतिओने ब्राह्मणसंन्यासी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org