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( ४ )
पुरुषोने पण निन्हवरूपे जाहेर करी, पोताना श्रद्धालुओना विशाल समुदायमाथी तेमने जूदा करी दीधा हता. आ कथननी सत्यताना प्रमाण तरीके डॉ. ल्यूमने ( Dr. Leumonn ) प्रकट करेली श्वेतांबर संप्रदायनी सात निन्हवो विषेनी परंपरा छे अथा दिगंबरो जे श्वेतांबरोथी महावीरनिर्वाण पछी प्रायः बीजी
अथवा त्रीजी शताब्दिमां जुदा पड्या हता, तेओ कांई तेमना प्रतिस्पर्द्धिओ (श्वेतांबरो) थी तात्त्विक सिद्धांतोमां मोटो मतभेद. घरावता नथी छतां पण आचारविषयक तेमना केटलाक भिन्न नियमोने लीधे, श्वेतांबरोए तेमने पाखंडियोना नामे वगोव्या छे.
आ सघळी हकीकत उपरथी आ बाबत स्पष्ट रीते सिद्ध थाय छे के जैनागमो ( नुं हालनुं स्वरूप ) नक्की थया पहेला पण जैनधर्म एवा अव्यवस्थित अथवा अनिर्दिष्ट स्वरूपमां विद्यमान न हतो, के जेथी, तेनाथी अत्यंतभिन्न एवा अन्यधर्मो (दर्शनो)ना सिद्धांतो द्वारा तेनुं असल स्वरूप परिवर्तित अगर कलुषित थयुं हतुं, एम मानवाने आपणने कारण मळे. परन्तु आयी विरुद्ध उपर्युक्त प्रमाणो एम तो सिद्ध करी आपे छे खरां के तेमनी सूक्ष्ममां सूक्ष्म मान्यता पण सुनिश्चित स्वरूपवाळी हती.
See Indische Studien, XVI.
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