________________
( १३ )
जोवामां आवती नथी. कारण के जैनज्योतिषशास्त्र ते, वास्तविकमां एक अर्थरहित अने अश्रद्धेय कल्पनामात्र छे. तेथी आपणे एम अनुमान करी शकीए छीए छे के जैनज्योतिषशास्त्रकारोने ग्रीकजातिना खगोळशास्त्रनी सहेज पण माहिती होत तो तेवं असंबद्ध तेओ जरूर न लखत हिंदुस्थानमां ग्रीकनुं आ शास्त्र ई. स. नी त्रीजी अगर चोथी शताब्दिमां दाखल थयुं हतुं एम मनाय छे, आ उपरथी आपणे ए रहस्य काढी शकीए छीए के जैनोना पवित्र आगमो ते समयनी पहेलां रचायां हतां. -
जैन आगमोनी रचनाना समयनिर्णय माटे बीजुं प्रमाण ते तेनी भाषाविषयक छे. परन्तु, कमनसीबे हजी सुधी ए प्रश्ननुं स्पष्ट निराकरण थयुं नथी के जैनागमो जे भाषामा अत्यारे आपणने उपलब्ध थाय छे तेज तेनी मूलभाषा छे. अर्थात् जे भाषामां सौथी प्रथम तेनी संकलना थई हती तेज भाषामां अत्यारे आपणने उपलब्ध थाय छे, के पाछळथी पेढी दरपेढीए ते ते काळनी रूढ ( प्रचलित ) भाषानुसार तेमां उच्चारणपरिवर्तन थतां थतां छेक देवर्द्धिगणिना नवीन संस्करणवखतनी चालु भाषाना उच्चारण पर्यन्तनी भाषाथी मिश्रित थएला आजे मळे छे! आ बे विकल्पोमांनो मने तो बीजोज विकल्प स्वीकरणीय लागे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org