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(९७) अमारा यूरोपियन पण्डितोनो ए मत भूल भरेलो छे, ए कल्पना मारा मनमा उत्पन्न थई.
. आ विचारने अधिक स्पष्ट करवा सारु आ विषयन। संबन्धे अनेक मतो एकत्र कहेवानी जरूर छे. यूरोपीय पण्डितो पैकी जुनीशाखाना विद्वान् लोको एQ मानता हता के महावीर ए गौतमबुद्ध करतां जराक उमरथी मोटा समकालीन हता, अने तेमणेज जैनधर्मनी स्थापना करी. परन्तु आजकालमां आ मत भूल भरेलो छे एम सिद्ध थएलो छे. हालमां यूरोपीय पण्डितोमां प्रचलित थएलो आ विषयनो मत एवो छे के, जैनधर्मनो संस्थापक पार्श्वनाथ होईने महावीर ए एक ते धर्मनी जागृति करनार पुरुष हतो, पण खुद जैनधर्मिओना परंपरागतनो मत एथी जूदो छे. तेओना मत प्रमाणे जैनधर्म अनादि होईने ते धर्मने जे अनेक व्यक्तिओ तरफथी जागृति मळी छे तेज चौवीश तीर्थकरो अथवा जिनो छे. आ जैनोनो परंपरागत मत लक्ष्यमा राखवा नेवो होईने तेने निःसंशय असल इतिहासनो आधार मळे छे, अने मने एम पण जणाई आव्युं छे के हिंदुस्थानमांना प्रत्येक प्रत्येक सांप्रदायिकमतोने अतिहासिक आधार होय छे ज. हवे जैनधर्मना संबन्धे आ मतने कयो आधार छे ए कहेवू अत्यारे घणुं कठिन
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