________________
( १११ )
रखना ) उनका लक्ष्य किसी प्रकारसे सर्वसत्तासे कम नहीं, किन्तु आशावादी ( Oppimistic ) है | वह आत्माको अनन्त बलसाली तथा आनन्दयुक्त मानते हैं 1
विश्व |
संसारज्ञान यह है कि संसार अनादिकालसे है, और रहेगा भी । अस्तु, इसका आदिकाल खोजना निरर्थक है । अमुक २ वस्तु नित्य होती रहती हैं और मिटती रहती हैं तथापि भिन्न भिन्न वस्तुओं की उत्पत्ति और नाशकी अवस्था होने पर भी संसार नित्य हैं । जब कोई वस्तु प्रगट होनी होती है तो वह वस्तु कोई दूसरी वस्तुमेंसे निकल कर प्रगट होती है अर्थात् जब पक्षी जन्मता है तो जिस अण्डे में वह था वह नाश होजाता है, परन्तु जिस पदार्थ से वह अण्डा तथा वह पक्षी बना था वह द्रव्य सर्वदा उपस्थित रहा है- अण्डेका तथा पक्षीका सिद्धान्त प्रत्येक पदार्थ के लिये सत्य है । केवल
ऐक्य है । यह
अवस्था में परि
न होता है, परन्तु पदार्थ ज्योंका त्यों रहता है । जिस द्रव्यमें से वस्तुएं बनती हैं वह किसी न किसी दशा में और किसी न किसी स्थान पर रहता ही है और रहे हीगा । अतिपूर्वकालमें किसी भी समय वा कोई भी काल में दृष्टि करनेसे उस
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org