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जैनदर्शन
और जैनधर्म।
( मूल लेखक-मिस्टर हर्बर्टवारन साहेब.) . मि. लालनना गुजराती अनुवाद उपरथी हिन्दी अनुवादक
कन्हैयालाल गार्गीय, ब्यावर. जैनदर्शनमें जैनतत्त्वज्ञानका और जैनधर्ममें जैन नीति, जैनियोंके चरित्र और उनकी धर्मक्रियाका वृत्तान्त हो सकता है। जैनियोंकी श्रद्धाको भी जैनधर्ममें ले सकते हैं। हिन्दुस्तानकी जातियोंमें जैनियोंकी भी एक जाति है। जो न्यूनाधिक सब देशमें फैली हई है। परन्तु उनका मुख्य निवास उत्तर, पश्चिम दिल्ली, बम्बई और अहमदाबादमें है। यह एक प्रतिष्ठित जाति गिनी जाती है। परन्तु इनकी संख्या घटती जाती है इस लिये वर्तमानमें वे अनुमान पन्द्रह लाखके अन्दर हैं । साधारणतः यह धनवान लोग हैं और जिन थोड़ेसे मनुष्योंसे मुझे लन्दनमें मिलनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ है वे बहुत अच्छे और कुलीन गृहस्थ हैं।
पश्चिमी देशोंमें जैनसिद्धान्त उचितरूपमें नहीं पहुंचे, और
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