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(८२) कारणो नीचे मुजब छे:-वैशेषिकदर्शन वास्तवमां एक आस्तिक ब्राह्मणदर्शन मनाय छे. अने ते मुख्यत्वे करीने स्वधर्मचुस्त हिंदुओद्वारा विकसित थयुं छे. आम होवाथी तेमणे सूत्रकारर्नु जे नाम तथा काश्यप एवं जे गोत्र बताव्युं छे ते संबंधमां तेओ असत्यालाप करे छे, एवी शंका करवानू जराए कारण जणातुं नथी. अने बीजुं ए के समग्रब्राह्मणसाहित्यमां एवो स्याए उल्लेख मळी आवतो नथी के वैशेषिकदर्शनना कर्ता- खलं नाग रोहगुत्त हतुं तथा तेनुं गोत्र कौशिक हतुं तेमज रोहगुत्त अने कणाद ए बन्ने नामो एकज व्यक्तिना होय तेम पण मानी शकाय नहीं, कारण के तेओना गोत्र स्पष्ट भिन्न भिन्न जोवामां आवे छे. — कणादनो अनुयायी ते काणाद' ए शब्द, व्युत्पत्तिशास्त्रना अनुसारे काकभक्षक एटले घुवड वाचक छे; अने एथी ते दर्शन- उपहासात्मक नाम औलूक्यदर्शन' पडेलुं छे. रोहगुत्तनुं बीजुं नाम छडुल्लुय छे, जेर्नु संस्कृतरूप षडुलूक थाय छे. तेमां धुवड अने घणुं करीने काणादोनुं सूचन थाय छे ए खरुं छे,
१ जुओ कल्पसूत्रनी मारी आवृत्तिनु पृ. ११९.
.. २ अक्षरशः छ घुवड़ आ शब्दनो पहेलो ' छ ' शब्द वैशेषिकदर्शनना छ पदार्थोनो सूचक छे.
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