________________
केटला अनुयायिओ, आ सप्तभंगीनयना सत्यनी प्रतीति पामी महावीरना धर्ममां आवी गया हशे ?
अज्ञेयवादनी बुद्धना उपर पण केटली बधी असर थई हती ते आपणे पालीग्रंथोमां निरूपित बुद्धना निर्वाणविषयक सिद्धान्तमा जोई शकीए छीए. आ प्रकारना निश्चयात्मक वाक्यो तरफ प्रथम ध्यान प्रो. ओल्डनबर्गे खेच्यु हत, आ वाक्यो निःशंकपणे जणावे छे के मृत्यु बाद तथागत ( अर्थात् मुक्तात्मा अथवा जेने वास्तवमा व्यक्तित्वनो हेतु कही शकाय ते ) हयाती धरावे छे के नहीं, एका प्रश्ननो उत्तर आपवा बुद्ध चोक्खी ना पाडता हता. जो तेमना समयना लोकोना सांभळवामां आवा विचारो बिलकुल न आव्या होत अने आवी केटलीक बाबतो के ने मनुष्यना मनथी अतीत होई ते घणी महत्वनी गणाय छे तेना संबंधमां, तेवा प्रकारना उत्तरोथी ते लोकोने सन्तोष न वळतो होत. तो तेओ, तेवा कोई धार्मिक सुधारक के ने ब्राह्मणधर्ममां तर्कसिद्धनिरूपित सघली बाबतोना संबन्धमां पोतानो स्पष्ट मभिप्राय न आपे, तेना उपदेशोने आदरपूर्वक सांभळे ए असंभवित छे. परन्तु वस्तुस्थिति जोतां एम लागे छे के अज्ञेयवादे बौद्धोना निर्वाणना सिद्धांतने झीलवा माटे भूमि तैयार करी राखी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org