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हती.' एक बाबत खास नोंव लेवा जेवी छे:-संयुतनिकाय जेनुं भाषान्तर प्रो. ओल्डनबर्गे करेलुं छे, तेमां एक ठेकाणे पसेनदि राजा अने खेमा नामनी आर्या वचे थलो संवाद आवे छे. तेमां राजाए मृत्यु बाद तथागत हयाती धरावे छे के नहीं ए संबंधमां प्रश्नो पूछेला छे, जे सूत्रोमां आ प्रश्नो पूछेलां छे तेमां सामञ्ञफलसुत्त-के जेनुं भाषांतर उपर आपेलुं छे, तेमां जेवा शब्दो संजय वापरे छे तेवाज शब्दो वापरेला छे.
बुद्धना समयना अज्ञेयवादनी असर बुद्ध उपर थई हती
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१ निर्वाणना स्वरूपकथनसंबंधमां बुद्धे जे मौन धारण कर्यु हतुं ते तेमना वखतमां भले डहापण भरेलुं गणायुं होय, परन्तु ते संप्रदायना विकासने माटे तो तेमां घणा परिणामो समाएला हता. कारण के बौद्धमतना अनुयायिओने, ब्राह्मणदार्शनिको जेवा दूधमांची पोरा काढनारा तर्कशास्त्रीओनी विरुद्ध पोताना मतने टकावी राखवानो होवाथी, आ महान् प्रश्न के जेना विषयमा तेमना धर्मसंस्थापके कांई पण निश्चयात्मक कथन कर्यु नहोतुं ते उपर वधारे स्पष्ट विचारो जणाववानी फरज पडी हती. आ रीते पोताना गुरुए अधुरा राखेला महेलने पूर्ण करवा माटे सामग्री भेगी करवाना उद्देशथी बुद्धनिर्वाण पछी तरतज बौद्धधर्म पुष्कल संप्रदायोना रूपमा विभक्त थई गयो हतो. आश्चर्य पामवानी जरूर नथी के सिलोन जे ब्राह्मणविद्याविषयक केन्द्रथी घणुं दूर आवे छे त्यां भा निर्वाणनो सिद्धान्त असलरूपमां अखंडित रही शक्यो थे.
बौद्धोना
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