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हवे जूओ आठमो पाठ शतपथब्राह्मणनो.
अने दशमो-गोपथब्राह्मणनो तेमां एवं जणाववामां आव्युं छे के-“ प्रथम प्रजापति एकलोज हतो. घणां रूप थवानी इच्छा करीने तप कर्यो." एवो कयो तप को हशे ? के जे तपना प्रभावथी त्रण लोकनी रचना करवानी शक्ति उत्पन्न थई ? वेर, फरीथी त्रणे लोकनी पासें तप कराव्यो. तेमां बीजो लोक तो आकाश छे ते तो शुन्यरूप (पोलार रूपे) छे तेनी पासे तप केवी रीते कराव्यो ? केम के ते आकाश तो रूप अने रंग विनानो छे. वली दशमा पाठमां तो-निरंजन निराकार परमात्माना पग पेट अने मस्तक सुद्धां बनावी देई तेमाथी त्रण लोकनी उत्पत्ति बतावी दीधी ? अने कहे छे के-चारे वेदो तो परमात्माना तरफथीन बक्षीश रूपे मळेला छे. तेनी उत्पत्ति पण विचित्र प्रकारथीज अमारा महापुरुषोए (१) बतावी छे तेनो पण विचार ते दश पाठोमांधीज थोडोक करीने बतायूँ छ । - जुवो-(४) चोथो पाठ-अथर्व सं० कां० १० मानो-ऋग्वेद अने यजुर्वेद ए बे तो खास परमात्माथी उत्पन्न थया. पण ते कया अंगथी अने केवी रीते उत्पन्न थया अने ते कई चीजमा राखवामां आव्या ते वातनो खुलासो कांई पण करेलो नथी. आ
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