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भगवाने पाणी बनावी बीज नाख्यं ले सोनातुं इंडं थयूं तेमां ब्रह्मानी मनुष्यना खर्व निखर्व वर्षी सुधी रह्या पछी ध्यान धरीने बेभाग कर्या तेथी आकाश अने पृथ्वीबे बनी गयां." प्रथम आकाश अने पृथ्वी बेमांथी एके न हतुं तो पाणी शेमां राख्यु ? अने बीज क्यां नांख्युं ?
हवे जूवो अमोए जे दश पाठ मुक्या छे तेमांनो पेहलो यजुर्वेदनो पाठ-परमात्मानी नामिना कमलमां ब्रह्माजी चउद मुवनने लेईने रहेला हता. ते शा कारणथी अने केटलां वर्ष सुधी रह्या तेनो खुलासो कांई करेलो नथी पण विचार करवानी जरुर छे. केम के प्रजापतिने अनादि मानेलो छे.
बीजो पाठ पण यजुर्वेदनोज छे. तेमां एम जणाव्यु छे के परमात्माए पोते जलमां रहीने गर्भ धारण कयों तेमाथी ब्रह्माजी उत्पन्न थया तो जाणवान ए छे के जल क्या रहेलं हशे वारु ?
हवे त्रीजा शतपथब्राह्मणना पाठमां-"परमात्माए कूर्मनुं रूप धाण करीने आ सृष्टिनी रचना करी. तेथी आ सृष्टि काश्यपी कहेवाई." प्रथम आ सृष्टिन न हती तो ते परमात्मा क्या रह्या हशे ? ' अने कूर्मन रूप कये ठेकाणे रहीने धारण कर्यु हशे वार ? बीजू कोई पण रूप न धारण करतां धर्मरूपज धारण करवामां शं विशेष हो वारू! अमोने तो आ लेखोज काई विचित्र वा लागे छे.
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